मुख्यमंत्री, रंधावा, धारीवाल, प्रमोद भाया सहित अन्य कई कांग्रेसी दिग्गज भी राडार पर
(महेश झालानी):- आने वाले दिन कांग्रेसी नेताओं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खास रहे एक दर्जन से भी अधिक अधिकारियों पर आयकर और ईडी कि गाज गिरने वाली है। ईडी सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री के दो ओएसडी, एक चीफ सेक्रेटरी स्तर का अधिकारी, एक अपर पुलिस अधीक्षक, दो केबिनेट स्तर के मंत्री, वरिष्ठ पुलिस अफसर, मुम्बई के ख्यातिप्राप्त व्यवसायी, मीडिया हाउस के संचालक और राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदरसिंह रंधावा के अलावा सीएम के कुछ आरएएस अधिकारी भी ईडी कि जांच दायरे में है।
ईडी सूत्रों का कहना है कि विभाग का काम प्राप्त शिकायतों का सर्वप्रथम सत्यापन करना होता है। इसके बाद मामला यदि उचित प्रतीत होता है तो पहले पीई दर्ज करने के बाद नियमानुसार एफआईआर अंकित की जाती है। छापे व तलाशी की लम्बी प्रक्रिया होती है। सम्बन्धित व्यक्ति की जमीन, मकान, भूखण्ड, फार्म हाउस, फ्लैट, फैक्टरी, वाहन तथा बैंक लॉकर आदि से सम्बंधित भौतिक सत्यापन किया जाता है। जब ईडी पूरी तरह से आश्वस्त हो जाती है कि शिकायत के अनुरूप जायदाद आदि है, तब उस जायदाद का पूर्ण विवरण और वीडियोग्राफी कर उसकी लोकेशन कैद की जाती है जिससे छापे के वक्त कोई गफलत उत्पन्न नहीं हो सके।
प्रवर्तन निदेशालय को समूचे देश में आय से अधिक संपत्ति का निरीक्षण करने, जब्त और उसे पीएमएलए एक्ट के अंतर्गत अटेच करने का अधिकार है। आयकर विभाग से ईडी को ज्यादा अधिकार है। जबकि कुछ राज्यों में सीबीआई की गर्दन मरोड़कर उसे असहाय और शक्तिविहीन कर दिया है। राजस्थान में गहलोत की सरकार आने के साथ ही सीबीआई के पूरी तरह पर कतर दिए है। यही वजह है कि बिना राज्य सरकार की अनुमति और न्यायालय के निर्देश के बिना सीबीआई कोई भी एक्शन लेने में असहाय है। इसी वजह से देश में ईडी ज्यादा सक्रिय और प्रभावी है।
सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री और उनके पुत्र वैभव गहलोत, उनकी पत्नी हिमांशी, पुत्री सोनिया और दामाद गौतम अंखड की शिकायत के मामले में मुम्बई के व्यवसायी मुफतलाल मुणोत, पुत्र पराग मुणोत से भी ईडी पूछताछ कर सकती है। कल्पतरु ग्रुप ऑफ कम्पनीज के मालिक मुणोत के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बहुत ही निकट के सम्बंध है। मुणोत की ओर से वैभव और उनकी पत्नी हिमांशी को मुम्बई में गैरकानूनी तरीके से फ्लैट मुफ़्त में देने का आरोप है। वर्तमान में इस फ्लैट की कीमत 15 करोड़ रुपये से अधिक है। जहां तक मंत्रियों की जांच का सवाल है, यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और खान मंत्री प्रमोद जैन भाया को कभी भी ईडी द्वारा बुलावा भेजा जा सकता है। इनके मकान, व्यवसायिक ठिकानों, बैंक लॉकरों आदि का भौतिक सत्यापन करीब करीब पूरा हो चुका है।
मजे की बात है कि एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता की शिकायत के आधार पर धारीवाल और भाया की कुंडली खोली जा रही है। सीएम के सबसे विश्वस्त सलाहकार एवं सवाई माधोपुर विधायक दानिश अबरार भी ईडी के रडार पर है। उनकी करोड़ो रूपये की नकदी, बैंक लॉकर, फार्म हाउस और जमीन के सत्यापन की प्रक्रिया जारी है।
सूत्रों के अनुसार राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा द्वारा भी आय से बहुत अधिक संपत्ति बटोरने का आरोप है। एक कांग्रेसी नेता की शिकायत के मुताबिक राजस्थान का प्रभारी बनने के बाद रंधावा द्वारा 100 करोड़ से ज्यादा की संपति गहलोत से अर्जित की है। इसलिए वे गहलोत के सबसे विश्वस्त वफादार पैरोकार है। ईडी और आईटी की ओर से इनकी गुरुदासपुर, आकखा तथा चंडीगढ़ स्थित सम्पति और बैंक लॉकरों को खंगालने की तैयारी है। इसके साथ ही अतिरिक्त मुख्य सचिव, एडीजी, दो आरएएस और भारत सरकार से प्रतिनियुक्ति पर आए एक उच्च अधिकारी की जन्मकुंडली खोलने का काम युध्दस्तर पर जारी है। चुनाव के दौरान दो-तीन नेताओं की पोल पट्टी खोली जा सकती है। अधिकारियों की दीपावली बाद या नए साल में खोलने की प्रक्रिया प्रारंभ होने की उम्मीद है।
ईडी की एक मीडिया हाउस में सैकड़ों करोड़ के लेनदेन का पता लगा है। जबकि लेनदेन का कागजों में कोई उल्लेख नहीं है। ईडी के अधिकारी पिछले डेढ़ दो महीने से भौतिक सत्यापन के लिए राजस्थान के विभिन्न स्थानों पर सक्रिय थे। अधिकारी चुनाव के दौरान भी गुप्त ऑपरेशन को अंजाम देने में सक्रिय रहेंगे। ईडी सर्वे एवं विज्ञापन एजेंसी डिजाइन बॉक्स की भी जन्मकुंडली खंगाल रही है। ईडी की ओर से डीपीएआर के एक पूर्व अधिकारी के साथ – साथ एक पत्रकार से भी पूछताछ हो चुकी है।
ईडी के एक उच्च अधिकारी ने इस बात का खंडन किया है कि उनका विभाग दुर्भावना से प्रेरित होकर छापेमारी कर रहा है। अधिकारी का कहना था कि अपराध, घोटाले और इनसे अर्जित नाजायज सम्पति की जांच करना उनका बुनियादी कर्तव्य है। देश की जनता में पुलिस और एसीबी के बजाय ईडी के प्रति आस्था बढ़ी है। पिछले तीन साल के भीतर शिकायतों की संख्या में चार गुना बढ़ोतरी हुई है। विभाग अधिकांशत शिकायतों के आधार पर जांच और छापेमारी करता है। जिनके खिलाफ जांच होती है, उनका बिल बिलाना स्वाभाविक है। चन्द लोगों की स्यापेबाजी की वजह से कार्य को रोका तो नही जा सकता है?