कर्नाटक: कर्नाटक का वाल्मीकि कॉर्पोरेशन स्कैम, गैर बीजेपी शासित राज्यों में ईडी जैसी एजेंसियों के इस्तेमाल को लेकर केंद्र के साथ तनाव का एक नया उदाहरण बन गया है। वाल्मीकि कॉर्पोरेशन स्कैम के मामले में अधिकारियों सहित कांग्रेस के दो विधायकों बी नागेंद्र और सांगौड़ा दद्दाल की संपत्तियों पर ईडी की छापेमारी को कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने अनुचित बताया है।
ईडी ने आज कांग्रेस विधायक बी नागेंद्र की कई जगहों पर छापेमारी की है। महर्षि वाल्मीकि शेड्यूल ट्राइब्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन में 88 करोड़ रुपये की हेराफेरी के सामने आने के बाद नांगेंद्र ने 6 जून को अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। जबकि डद्दाल कॉर्पोरेशन के चेयरमैन हैं। ईडी ने कॉर्पोरेशन के कार्यलय, एमडी के आवास और अन्य अभियुक्तों के यहां छापेमारी की कार्रवाई की है।
शिवकुमार ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए पहले ही “विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया है। ईडी के छापों की कोई जरूरत नहीं थी।” उन्होंने कहा कि एसआईटी को पहले ही पता चला है कि न तो नागेंद्र और ना ही दद्दाल इस घोटाले में शामिल हैं। यह घोटाला तब प्रकाश में आया जब कॉर्पोरेशन के अकाउंटेंट सुप्रिटेंडेंट ने 26 मई को आ*त्मह*त्या कर ली थी।
उन्होंने एक लंबे सु*साइड नोट में बेंगलुरु और तेलंगाना की कई कंपनियों में 88.62 करोड़ रुपये के गैरक़ानूनी ट्रांसफर के बारे में लिखा था। ये पैसे यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के खाते से ट्रांसफर किए गए थे। बैंक की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के बाद सीबीआई इस मामले में सक्रिय हुई थी।