प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत 9 तारीख मंगलवार को को जिला अस्पताल, उप जिला अस्पताल, सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भवतियों की प्रसव पूर्व जांच की गई। गर्भवतियों का वजन, उंचाई, पेट की जांच, खून की जांच, हीमोग्लोबिन, रक्तचाप, शुगर, एचआईवी, सिफलिस, हदय स्पंदन, यूरिन, सोनोग्राफी आदि जांचों सहित दवाएं उपलब्ध करवाई गई।
राजकीय सहित निजि चिकित्सकों ने भी गर्भवतियों की जांच की। निजि चिकित्सकों ने स्वैच्छिक रूप से अपनी सेवाएं उपलब्ध करवाई। जांच के साथ ही गर्भावस्था के दौरान किसी भी गर्भवती में जटिलता पाए जाने पर उच्च संस्थानों पर भी रेफर किया गया।
जिन भी गर्भवतियों का हीमाग्लोबिन कम पाया गया उन्हें जांच के बाद अभियान के दौरान खून बढाने की दवाएं व आयरन सुक्रोज चढाया गया। चिकित्सकों ने गर्भावस्था में आने वाली जटिलताओं के बारे में जागरूक किया, महिलाओं को समझाया कि उन्हें इस दौरान क्या खाना है, कैसे अपना खयाल रखना है, प्रसव के पूर्व उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, हारमोन संबंधी परेशानियां हो सकती हैं उसके लिए समय पर डाॅक्टर से मिलना है।
गर्भवतियों को हो रही सहूलियत:-
चिकित्सा संस्थानों में अपनी स्वास्थ्य जांच करवाने आई गर्भवतियों ने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान की तारीफ करते हुए बताया कि हर महीने होने वाल इस आयोजन से उन्हें बहुत राहत और सुविधा मिली है। पहले हम को अपनी जांच और चिकित्सक से परामर्श के लिए दूर चिकित्सा संस्थानों पर जाना पडता था और गर्भावस्था में इस प्रकार से लंबी यात्रा करने से तकलीफ और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पडता था किंतु अब पास ही की सीएचसी, पीएचसी पर चिकित्सक की सुविधा हर माह उपलब्ध होने से बहुत राहत मिली है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. तेजराम मीना ने बताया कि प्रत्येक गर्भवती महिला को गुणवत्ता युक्त प्रसव पूर्व जांच सुविधाए के लिऐ प्रत्येक माह 9 तारीख को एएनसी सेवाएं देने हेतु प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) मनाया जाता है। अभियान में यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रत्येक महिला की दूसरी और तीसरी तिमाही तक गर्भवती गर्भवस्था में कम से कम एक बार चिकित्सक द्वारा स्वास्थ्य जांच अवश्य हो जाए। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए ये जरूरी है कि गर्भधारण से लेकर प्रसव होने तक हर गर्भवती महिला की समय समय पर प्रसव पूर्व विशेष स्वास्थ्य जांच हो एवं उन्हें चिकित्सकीय परामर्श देकर संस्थागत प्रसव को बढावा दिया जा सके।