दांतारामगढ़: राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में पति-पत्नी दोनों आमने-सामने होंगे। राजस्थान में यह पहला विधानसभा चुनाव होगा। जिसमें एक ही विधानसभा क्षेत्र में पति-पत्नी आमने-सामने चुनाव लड़ेंगें। दांतारामगढ़ से विधायक विरेंद्र सिंह कांग्रेस से विधायक की पत्नी डॉ. रीटा सिंह जेजेपी पार्टी से चुनाव मैदान में उतर रही है, वहीं माकपा से अमराराम व भाजपा से गजानंद कुमावत, आरएलपी से महावीर सिंह बिजारणियां, युपीआई से धीरेन्द्र कुमार, राजस्थान विकास पार्टी से साबरमल, आम आदमी पार्टी से बुद्धराम जाट, निर्दलीय विक्रम सिंह, संतोष कंवर सहित कई उम्मीदवार मैदान में उतरें। 4 नवंबर शनिवार को दांतारामगढ़ के रिटर्निंग अधिकारी एसडीएम गोविंद सिंह भींचर के समक्ष दोनों पति-पत्नी ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। हालांकि कांग्रेस ने दांतारामगढ़ से अभी तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। दिग्गज कांग्रेसी नेता पूर्व पीसीसी प्रमुख और दांतारामगढ़ से सात बार के विधायक नारायण सिंह के बेटे वीरेंद्र सिंह का परिवार पारंपरिक रूप से कांग्रेस के साथ रहा है, उनकी पत्नी डॉ. रीटा सिंह अगस्त में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) में शामिल हो गईं और उन्हें पार्टी की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है।
रीटा सिंह ने 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले दांतारामगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस से टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी ने उनके पति विरेंद्र सिंह को चुना। इसके बाद सीकर की पूर्व जिला प्रमुख रीटा सिंह ने निर्वाचन क्षेत्र में अपने राजनीतिक आधार को कड़ी मेहनत से मजबूत किया और जेजेपी में शामिल हो गईं। रीटा सिंह ने जेजेपी की चाबी से जीत की उम्मीद के साथ ट्रैक्टर स्टार्ट कर अपने ही पति की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वहीं दांता में चुनावों में पति-पत्नी का पुराना रिकॉर्ड रहा है। यहां पति-पत्नी एक साथ सरपंच व उपसरपंच रहे हैं एवं वर्तमान में पति-पत्नी दांता नगरपालिका की चैयरमेन व उपाध्यक्ष है। सीकर जिले में दांतारामगढ़ विधानसभा क्षेत्र ही ऐसा है, जहां अब तक भाजपा का खाता नहीं खुला है। पिछले दो चुनावों में भाजपा के दिवंगत नेता हरीश चंद्र यहां बहुत ही कम अंतर से हारे थे। इस बार दांतारामगढ़ विधानसभा में होगें रोमांचक मुकाबले।
अब तक किसने किसको हराया
सन् 1952 में जनसंघ के भैरोंसिंह ने कांग्रेस के विद्याधर को 2833 मतों से हराया, सन् 1957 में मदनसिंह ने कांग्रेस के जगनसिंह को 4687 मतों से हराया, सन् 1962 में कांग्रेस के जगनसिंह ने मदनसिंह को 612 मतों से हराया। सन् 1967 में मदनसिंह ने जगन सिंह को 11306 मतों से हराया। सन् 1972 में कांग्रेस के नारायण सिंह ने मदनसिंह को 3595 मतों से हराया। सन् 1977 में निर्दलीय प्रत्याशी मदन सिंह ने कांग्रेस के नारायण सिंह को 1224 मतों से हराया। सन् 1980 में नारायण सिंह ने भाजपा के कल्याण सिंह को 1461 मतों से हराया। सन् 1985 में नारायण सिंह ने भाजपा के जगदीश शर्मा को 12890 मतों से हराया। सन् 1990 में जनता दल के अजय सिंह ने नारायण सिंह को 6163 मतों से हराया। सन् 1993 में नारायण सिंह ने भाजपा के शिवनाथ सिंह को 15137 मतों से हराया। सन् 1998 में नारायण सिंह ने शिवनाथ सिंह को 18967 मतों से हराया। सन् 2003 में कांग्रेस के नारायण सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी मदन पुजारी को 14962 मतों से हराया। सन् 2008 में माकपा के अमराराम ने कांग्रेस के नारायण सिंह को 4919 मतों से हराया। सन् 2013 में नारायण सिंह ने भाजपा के हरिश्चंद्र को 575 मतों से हराया। सन् 2018 में विरेन्द्र सिंह ने भाजपा के हरिश्चंद्र को 920 मतों से हराया था।
समाज के अनुमानित मतदाता
जिले में सीकर विधानसभा के बाद दुसरे नम्बर पर दांतारामगढ़ विधानसभा में सबसे ज्यादा मतदाता हैं। दांतारामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में 2 लाख 86 हजार 350 मतदाता हैं। बिना जातिय मतगणना के किसी समाज के सटीक मतदाताओं के बारे में तो नहीं बता सकते, परन्तु अनुमानित मतदाताओं लगभग 69 हजार जाट, 58 हजार कुमावत, 42 हजार एससी-एसटी, 31 हजार राजपूत, 29 हजार ब्राह्मण-बनिया, 12 हजार अल्पसंख्यक, 45 हजार 350 लगभग अन्य समाज के मतदाता हैं।