नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान ने ‘श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर’ पर समझौते को अगले पांच साल के लिए फिर से बहाल करने का फैसला किया है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोशल मीडिया एक्स पर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार हमारे सिख समुदाय को उनके पवित्र स्थलों की यात्रा की सुविधा हमेशा प्रदान करती रहेगी।
बता दें कि करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन साल 2019 में हुआ था। करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पाकिस्तान के नारोवाल जिले में है जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से 4.5 किलोमीटर दूर है। पाकिस्तान में मौजूद यह गुरुद्वारा सिखों और दूसरे पंजाबियों के लिए बहुत महत्व रखता है, क्योंकि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने अपनी जिंदगी के अंतिम 18 साल यहीं पर गुजारे थे।
भारत के गुरुदासपुर में मौजूद डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा भारत-पाकिस्तान सीमा से एक किलोमीटर की दूरी पर और रावी नदी के पूर्वी किनारे पर है। नदी के पश्चिम की ओर पाकिस्तान में करतारपुर शहर है। भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर को लेकर समझौते के अनुसार भारतीय तीर्थयात्रियों को गुरुद्वारा आने के लिए पाकिस्तान वीजा फ्री एंट्री देता है।
करतारपुर साहिब का अतीत:
करतारपुर साहिब कॉरिडोर का उद्धाटन पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के कार्यकाल के दौरान हुआ था। करतारपुर साहिब गुरुद्वारा भारत की सरहद से करीब चार किमी (2.5 मील) दूर है, लेकिन पड़ोसी देशों के बीच त*नाव के कारण सिख तीर्थयात्रियों को अक्सर यहां आना मुश्किल लगता है।
हालांकि, “करतारपुर गलियारा” भारतीय सीमा से सीधे गुरुद्वारे तक जाता है, जिसके दोनों ओर बाड़ लगाई हुई है। माना जाता है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक 1522 में करतारपुर आए थे। उन्होंने जिंदगी के आखिरी 18 साल यहीं गुजारे थे। माना जाता है कि करतारपुर में जिस जगह गुरु नानक देव की मौ*त हुई थी वहां पर गुरुद्वारा बनाया गया था।