अजमेर (Ajmer) : जयपुर निवासी दीपक शर्मा ने अपनी पुत्री कोमल शर्मा की शादी गत 7 जुलाई 2024 को अजमेर स्थित पैराडिजो रिसोर्ट में धूमधाम से की थी। कोमल की शादी अजमेर निवासी नंद किशोर बंसल के पुत्र रौनक बंसल से हुई। 8 जुलाई को रिसोर्ट में फेरों के बाद दीपक शर्मा ने अपनी पुत्री कोमल को विदा किया, लेकिन कोमल ने फेरों के 9 घंटे बाद ही अपने ससुराल में दोपहर तीन बजे फ्लैट की 7वीं मंजिल से कूदकर जान दे दी। कोमल का ससुराल अजमेर के कोटड़ा के बीके कौल नगर में बने गोकुलधाम हाऊसिंग सोसायटी में रहता है।
ऐसे में अब यह सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि कोमल को सुहागरात से पहले ही मौ*त को गले लगाना पड़ा। कोमल के पिता का कहना है कि कोमल जब अपने ससुराल पहुंची, तब उसने फोन कर कहा कि उसके ससुराल वाले लालची है। अभी से ही दहेज की मांग करने लगे हैं और ताने दे रहे हैं कि तेरे बाप ने हमें दहेज में कुछ भी नहीं दिया। पुत्री की इस बात से पिता दीपक शर्मा व्यथित तो थे ही, लेकिन उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि कोमल मौ*त को गले लगा लेगी।
सभ्य समाज को अजमेर की इस घटना पर मंथन करने की जरूरत है। चूंकि कोमल शर्मा एवं रौनक बंसल का विवाह अंतरजातीय था, इसलिए स्वाभाविक है कि विवाह से पहले दोनों परिवारों ने एक दूसरे की स्थिति को परखी होगी। ऐसे में दहेज की मांग करना उचित नहीं था। यदि अंतरजातीय विवाह के बाद भी दहेज की मांग की जाती है तो यह अपने आप में शर्मनाक बात है। अजमेर की यह घटना अपने आप में विशेष है। ऐसा बहुत कम होता है कि फेरों के 9 घंटे बाद ही कोई लड़की मौ*त को गले लगा ले।
आमतौर पर शादी के कुछ दिनों बाद विवाद होते हैं। इन दिनों पारिवारिक न्यायालयों में तलाक के मुकदमे सबसे अधिक हो रहे है। मुकदमों की संख्या को देखते हुए अब एक शहर में दो से अधिक पारिवारिक न्यायालय बनाने पड़े है। कानून के अनुसार विवाह के एक वर्ष बाद तलाक हो सकता है, लेकिन विवाहित जोड़े दो या तीन महीने बाद ही तलाक की अर्जी न्यायालय में लगा देते हैं। यानी ऐसे जोड़ों से एक वर्ष का भी इंतजार नहीं होता। एक वर्ष पहले ही तलाक मंजूर हो जाए इसके लिए न्यायालयों पर दबाव भी डलवाया जाता है।
सभ्य समाज को यह भी सोचने की जरूरत है कि जो विवाह लड़के लड़की की मर्जी से हुआ है, आखिर उन जोड़ों का तलाक तीन-चार महीने में ही क्यों टूट रहा है? कई मामलों में तो देखा गया है कि सगाई के बाद संबंध बिगड़ रहे हैं। ऐसे मामलों में मोबाइल की भी भूमिका बताई जा रही है। एक दूसरे के मोबाइल चेक करने के बाद सगाई भी खत्म हो रही है। कई बार मोबाइल पर विचारों के आदान – प्रदान के दौरान ही सगाई टूट जाती है। ऐसे मामले पढ़े लिखे परिवारों में ज्यादा हो रहे हैं।
जो लड़कियां कंपनियों में नौकरियां कर रही है उनकी महत्वाकांक्षा कुछ ज्यादा ही होती है। ऐसा नहीं कि सारा कसूर लड़कियों का ही होता है। अनेक मामलों में लड़कों की अदालतें भी सगाई टूटने का कारण बनती है। समाज में आज तनाव का सबसे बड़ा कारण पारिवारिक रिश्तों को लेकर है। घर परिवार में आर्थिक संपन्न होने के बाद भी बेटे – बेटियों के कारण तनाव है।
जिन घरों में विवाह के बाद बेटी रह रही है उसमें माता-पिता का तनाव बहुत ज्यादा है। विवाह के बाद भी कोई बेटी अपने माता – पिता के साथ रहे यह बहुत ही दुखद है। समाज में ऐसे बढ़ते तनाव को आपसी समझाइश के जरिए खत्म किया जाना चाहिए। फेरों के 9 घंटे बाद ही विवाहिता के द्वारा मौ*त को गले लगाने की घटना बताती है कि हमारा समाज किस ओर जा रहा है।
(सोर्स : एसपी मित्तल ब्लॉगर)