दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र चमत्कारजी में ससंघ वर्षायोग कर रहे आचार्य सुकुमालनंदी ने दैनिक प्रवचन में कहा कि मोह-माया का त्याग कर संयम धारण करते हुए आत्मा का चिंतन करना चाहिये।
आचार्य ने कहा कि प्रेम, संयम व त्याग के बिना मनुष्य का उद्धार नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि धर्म के मार्ग पर चलकर व्यक्ति अपना जीवन सुखमय बना सकता है। इसी क्रम में ऐलक सुलोकनंदी ने कहा कि कर्म किसी को नहीं छोड़ता है। चमत्कार व्यक्ति का नहीं, पुण्य का होता है। बिना धर्म, पुरूषार्थ के पुण्य नहीं होता। धर्म, पुण्य नहीं करने वाला व्यक्ति जीवन के अंत में पछताता है। उन्होंने कहा कि फूल को महकने के लिए खुशबू चाहिए, सोने को चमकाने के लिए तपन चाहिए और मानवता पाने के लिए झूठ, चोरी, कुशील, कषाय, परिग्रह का त्याग चाहिए। धर्मसभा के मंच पर मुनि सुनयनंदी भी विराजमान थे।
धर्मसभा का शुभारम्भ बाहर से आये श्रद्धालुओं ने भगवान महावीर की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर किया। धर्मसभा के मंच का संचालन लालचन्द पांड्या ने किया। बाहर से आये धर्मावलम्बियों का समाज के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा भाव-भीना अभिनंदन किया गया। इस दौरान स्थानीय सहित उदयपुर, सिकंदराबाद, अहमदाबाद, हैदराबाद के श्रद्धालुओं ने मौजूद रहकर धर्मलाभ लिया।
समाज के प्रवक्ता प्रवीण कुमार जैन ने बताया कि शहर स्थित आदिनाथ दिगम्बर जैन सांवलियान मंदिर में शांति विधान मण्डल पूजन का भावपूर्ण आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरूआत जिनेन्द्र के अभिषेक व शांतिधारा के साथ हुई। अष्ट द्रव्यों से शांति विधान मण्डल का पूजन कर श्रद्धापूर्वक मण्डल पर 120 अर्घ्य समर्पित किये और विश्व की सुख-समृद्धि एवं शांति की कामना की गई। पं. उमेश जैन शास्त्री के निर्देशन में शुद्धिकरण, सकलीकरण की मांगलिक क्रियायें मंत्रोचारपूर्वक सम्पन्न करने के साथ ही विधान पूजन से पूर्व मण्डल पर मंगल कलशों एवं मंगल दीपक की विधि-विधानपूर्वक स्थापना की गई। पूजन के दौरान अजित भौंसा, विनय पापड़ीवाल एवं राजेश बाकलीवाल सहित श्रद्धालुओं ने भजनों की प्रस्तुति दी। इस दौरान नरेश बज, लालचन्द पहाड़िया, महेश बज, प्रेमचन्द पहाड़िया, दिनेश बज, तरूण बज, अरूण बज सहित समाज के गणमान्य महिला-पुरूष मौजूद थे।