बसपा सांसद अफजाल अंसारी को लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया है। अफजाल अंसारी आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया है। इससे पहले गैंगस्टर मामले में गाजीपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने माफिया मुख्तार अंसारी और उसके बड़े भाई सांसद अफजाल अंसारी को दोषी करार दिया था। बीते शुक्रवार यानी 28 अप्रैल को कोर्ट ने मुख्तार को 10 साल की सजा और पांच लाख रुपये से जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही अफजाल अंसारी को चार साल की सजा सुनाई गई थी। साथ ही उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।
वहीं, मुख्तार अंसारी के खिलाफ भाजपा विधायक कृष्णानंद राय और नंदकिशोर गुप्ता रुंगटा की हत्या के मामले में गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज था। दोनों भाइयों के खिलाफ मुहम्मदाबाद थाने में 2007 में क्राइम नंबर 1051 और 1052 दर्ज हुआ था। बसपा से गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी को पहली बार किसी मामले में सजा हुई है। गैंगस्टर के मामले में चार साल की सजा होने के बाद अब लोकसभा की सदस्यता जाना तय है। वहीं सजा पूरी होने के बाद 6 सालों तक चुनाव लड़ने पर भी रोक रहेगी। ऐसे में वर्ष 1985 में शुरू हुआ अफजाल का राजनीतिक करियर 38 साल बाद खत्म होने की कगार पर है। उस वक्त के जाने-माने कम्युनिस्ट नेता सरजू पांडेय ने उन्हें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से मुहम्मदाबाद से टिकट देकर चुनाव लड़वाया था।
अफजाल ने अपने पहले ही चुनाव में कांग्रेस के अभय नारायण राय को तीन हजार वोटों से हराया था। ये चुनाव इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कराए गए थे। 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 542 में से 425 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके बाद अफजाल अंसारी 1996 तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के साथ बने रहे। कम्युनिष्ट पार्टी में लंबे सफर के बाद सपा फिर कौमी एकता दल और फिर सपा से होकर अफजाल बसपा में पहुंचे। इस दौरान पांच बार तक वह लोगों की पसंद बनकर विधानसभा में पहुंचते रहे। इसके अलावा वह गाजीपुर से दो बार सांसद भी निर्वाचित हुए। साल 2002 के विधानसभा चुनाव में अफजाल अंसारी हार गए।
गाजीपुर संसदीय सीट से सपा ने टिकट दिया। इस चुनाव में अफजाल अंसारी ने बीजेपी के खिलाफ मनोज सिन्हा को हराकर जीत दर्ज की थी। 2009 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन सपा के राधेमोहन सिंह ने हरा दिया। 2014 में फिर से लोस चुनाव में इन्हें हार मिली। इसके बाद वर्ष 2019 में सपा और बसपा के गठबंधन में बसपा के टिकट से चुनाव लड़े और भाजपा के सांसद मनोज सिन्हा को हराकर लोकसभा में पहुंचे। मुख्तार के खिलाफ प्रदेश के विभिन्न जिलों में कुल 61 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें सबसे अधिक गाजीपुर में 25, मऊ में नौ, वाराणसी और लखनऊ में 8-8 मामले दर्ज हैं। वहीं कई अन्य जगहों पर भी मामले दर्ज हैं। इसमें गाजीपुर में गैंगस्टर के दो मामलों में और लखनऊ में दो मामलों में सजा हो चुकी है। मौजूदा समय में मुख्तार के खिलाफ 20 मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं।