सवाई माधोपुर :- खिरनी क्षेत्र की जौलंदा पंचायत में चार खेजड़ा स्थित दर्रा क्षेत्र में पिछले लगभग 20 से 25 सालों से घास फूस की झुग्गी झोंपडियां बनाकर कष्ट दायक जीवन यापन कर रहे है मोग्या जाति के 6 परिवारों के 40 लोगों को आज तक भी प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है। लोगों ने बताया कि पूर्व में हमारे बुजुर्ग जंगल में शिकार करके अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। लेकिन धीरे-धीरे ग्रामीणों के सम्पर्क में आने के बाद तथा उनके द्वारा समझाइश करने पर की जंगली जानवरों की हत्या नहीं करनी चाहिए मेहनत मजदूरी करके ही अपना गुजारा करना चाहिए। उसके बाद हमने शिकार करने का काम छोड़ दिया और किसानों की फसलों की रखवाली करके व खेती बाड़ी में साझा बांटा करके जीवनयापन कर रहे हैं।
जिससे ही हमारे परिवार का पालन पोषण हो रहा है। मोग्या परिवारों के लोगों ने प्रधानमंत्री आवास का लाभ लेने के लिए जौलंदा पंचायत के वर्तमान सरपंच विजेन्द्र सिंह गुर्जर व कई बार पूर्व सरपंचों को भी कई ग्राम सभा व ग्राम पंचायत में होने वाली जनसुनवाई के दौरान भी सभी उच्च अधिकारियों को हमारी समस्याओं से अवगत कराया, लेकिन हमारे पास स्वयं की जमीन नहीं होने के कारण हमारे प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत नहीं हो सके। आवास के लिए जमीन आवंटित करवाने के लिए भी कई बार तत्कालीन जिला कलेक्टर से भी मिलकर समस्या से अवगत कराया लेकिन उसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
जिससे से लोग सर्दी, गर्मी व बरसात के मौसम में खुले जंगल में झोंपड़ियों में रहने को मजबूर हैं। जंगल के दर्रा क्षेत्र में घास-फूस की झोंपड़ी बनाकर रह रहे इन लोगों को रात के समय में वन्य जीवों का भय भी बना रहता है। कई बार वन्य जीव झोंपड़ियों के पास बंधे बकरे-बकरियों का शिकार कर चुके है। गर्मी के मौसम में झोंपड़ियों में अज्ञात कारणों से कई बार आग लगने से घरेलु सामान सहित सब कुछ जलकर राख हो गया था, ऐसे में किसी भी विभाग की ओर से किसी प्रकार की कोई सहायता राशि भी नहीं मिली है।
मोग्या समाज के अमर सिंह, मुकेश, प्रीतम, पप्पू, नरेश, बबलू, मंशा लाल सहित समाज के कई लोग राजस्थान सरकार के तत्कालीन राजस्व मंत्री राम लाल जाट, मुख्य मंत्री सलाहकार निरंजन कुमार आर्य आदि से आवास के लिए 100 वर्ग मीटर भूमि आवंटन करवाने के लिए ज्ञापन सौंपकर मांग कर चुके है। गौरतलब है कि राजस्थान सरकार की केबीनेट बैठक में 15 दिसम्बर 2021 में भूमिहीन परिवारों को 100 वर्ग मीटर का प्लॉट दिए जाने का निर्णय लिया था। ऐसे परिवार जो घुमुन्तु है व तिरपाल, घास फूस की झुग्गी झोंपड़ियों में अपनी जिन्दगी गुजर बसर कर रहे है। लेकिन अभी तक समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ है।