सवाई माधोपुर : भारत जैसे विशाल देश में संविधान ने निरोधक प्रतिबन्ध कानून लागू है पर सरकार की मिशनरी उन्हें ढंग से आज तक लागू नहीं कर पाई। दहेज के विरुद्ध कानून बना है प्रतिवर्ष लाखों विवाह समारोह होते है खुले में गार्डनों में सगाई समारोह में नोट, गाड़ियां, फर्नीचर, जेवरात रखे रहते हैं। फिर भी कार्यवाही नहीं। पहले बाप अपनी श्रद्धानुसार बेटी को कुछ न कुछ नए जीवन की शुरुआत पर भेंट स्वरूप देता था पर आज सम्पूर्ण वैवाहिक संबंध व्यावसायिक हो गये। दहेज जैसे बेटे वालों का अधिकार मान लिया गया और लड़की वालों की मजबूरी। हर बाप अपनी बेटी को सुखी देखना चाहता है और अच्छे कमाते खाते परिवार में देना चाहता है। इसी मजबूरी का फायदा लड़के वाले उठाते हैं। जब लड़का देखने जाते हैं तो कहते है हमे कुछ नहीं चाहिए पर शादी बढ़िया हो हमारे चाचा के लड़के के इतने पैसे गाडी जेवरात आए।
बाल विवाह पहले सामाजिक व्यवस्था में प्रथम रजो दर्शन को वयस्क होना मान कर लोकलाज तथा बालक-बालिका भटके नहीं इसलिए विवाह कर देते थे। न बड़ा भोज न डेकोरेशन न ज्यादा दहेज व कपड़े कम खर्चे में विवाह हो जाता था। कई समाज तो समझ गए पर आज भी ग्रामीण क्षेत्र में कुछ खास जातियों में बाल विवाह का प्रचलन है। उन जातियों में बड़ी उम्र में बच्चे-बच्ची नहीं मिलते। प्रतिवर्ष अक्षय तृतीया पीपल पून्यू अबूझ सावे में अनेकों बाल विवाह होते हैं।
अब बड़ों को दुल्हा बना कर चुपचाप बच्चों के फेरे कर देते हैं। फिर बड़े होने पर गोने की रस्म कर लड़की को आती जाती करते हैं। उन वर्गो में शिक्षा का अभाव है अतः शिक्षित कर इसे ठीक किया जा सकता है। परन्तु पहले दहेज पर कठोरता से रोक लगे। बड़े बड़े भोज आयोजनों पर रोक लगे। मृत्युभोज सदियों से चली आ रही एक परंपरा है। जिसमें 12वीं या 11वीं या 13वीं की रस्म पर बड़ा भोज होता है। आज भी कई जातियों में 100 मण शक्कर तक करते हैं। जिसमें भाई बंधु रिश्तेदार मिलने वाले शामिल होते हैं।
मृतक की मोक्ष के लिए दान धर्म पिंडदान ब्राह्मण भोज होता है नहीं करते है तो समाज ताना मारता है अतः सब को करना पडता है। यह हमारे मनु स्मृति गरुड पुरान में भी वर्णित है। लोग उस दिन सूतक से परे मानकर उनके यहां का अन्न जल ग्रहण करते है। इसे आज सामाजिक बुराई का दर्जा दिया गया। इसके लिए समाज स्तर पर जागरूक कर छोटे रूप में किया जा सकता है। गरुड पुरान तो छः मही एवं बरसी पर भी अन्नदान व अन्य दान का आदेश देता है।