सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के कैशलेस इलाज के लिए कांग्रेस सरकार की ओर से शुरू की गई राजस्थान गवर्नमेंट हैल्थ स्कीम (आरजीएचएस) योजना में इलाज से वंचित हो रहे पेंशनर और सरकारी कर्मचारी पुर्नभरण के लिए भी भटकने को मजबूर हैं। कई निजी अस्पतालों ने लंबे समय से सिर्फ सर्जिकल इलाज जारी रखा हुआ है। मेडिकल इलाज की जरूरत वाले मरीजों को सूचीबद्ध अस्पतालों से भी निराश लौटना पड़ रहा है। हैरत की बात यह है कि योजना के संचालन के लिए जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। कई जगह आरजीएचएस में सिर्फ आउटडोर सुविधाएं दी जा रही है। दवा विक्रेताओं और अस्पतालों को आशंका है कि नई सरकार इसे जारी रखेगी या नहीं। नए मंत्री बनने के बाद ही इसमें कुछ तस्वीर साफ होने की संभावना है। गौरतलब है कि सरकारी कार्मिकों व पेंशनर्स को चिकित्सा सुविधा के बदले सरकार उनके वेतन और पेंशन में से राशि की कटौती करती है। उसके बदले में आरजीएचएस के तहत उन्हें कैशलेस सुविधा दी जा रही है। लेकिन इसमें भी उन्हें इलाज से वंचित किया जा रहा है।
मीडिया लगातार बता रहा मरीजों की पीड़ा: अस्पताल संचालकों और दवा विक्रेताओं को आंशका है कि सरकार बदलने से योजनाओं की समीक्षा होगी और भुगतान में और अधिक देरी होगी। इसलिए रोगियों को एक माह की दवा देने की बजाए 5-7 दिन की दवा देकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। हालांकि पिछले कुछ दिनों में कुछ जिलों में दवा विक्रेताओं को भुगतान मिलने के बाद दवा देना शुरू किया गया है। राजस्थान पत्रिका ने पहले भी यह मुद्दा उठाया। लेकिन राजस्थान में अभी भी मंत्रिमंडल के गठन का इंतजार है। ऐसे में मरीज और दवा विक्रेताओं सहित निजी अस्पतालों को नए मंत्री और नई सरकार के आगामी रूख का इंतजार है।