चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने अंगदान को सबसे बड़ा दान बताया है और कहा है कि एक व्यक्ति अंगदान कर कई लोगों की जिंदगियां बचा सकता है। डॉ. शर्मा ने सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सकों को अंगदान के लिए प्रेरित करने और 14 वर्षीय विशाल के परिजनों का अंगदान करने के लिए आभार जताया है। गौरतलब है कि सोमवार को सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर में बस्सी के 14 वर्षीय बच्चे के अंगदान के बाद उन अंगों से 4 लोगों को जिंदगी दी गई। सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य व सोटो के चेयरमैन डॉ. सुधीर भंडारी ने बताया कि राज्य में कार्यरत स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन की टीम डॉ. अमरजीत मेहता, डॉ. मनीष शर्मा, डॉ. अजीत सिंह एवं रोशन बहादुर तथा सवाई मानसिंह असप्ताल के ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर्स के अथक प्रयासों से विशाल के परिवारजन को अंगदान के लिए प्रेरित किया गया।
डॉ. सुधीर भंडारी ने अंगों के प्रत्यारोपण के लिए ट्रांसप्लांट सर्जन्स का भी आभार प्रकट किया है, जिन्होंने देर रात तक अंगों का प्रत्यारोपण किया। उन्होंने बताया कि दोनों किडनीयों को सवाई मानसिंह चिकित्सालय, लिवर को महात्मा गांधी अस्पताल, जयपुर में प्रत्यारोपित किया गया, वहीं हार्ट व लंग्स का राजस्थान में कोई भी मरीज ना होने के कारण ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन के द्वारा हार्ट व लंग्स का आवंटन राजस्थान से बाहर नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन, भारत सरकार की सहायता से किया गया। हार्ट व लंग्स दोनों ही चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में 46 वर्षीय महिला को प्रत्यारोपित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हार्ट व लंग्स को 1 फरवरी 2021 को देर रात 3 बजे ग्रीन कॉरिडोर की सहायता से सवाई मानसिंह अस्पताल से एयरपोर्ट पहुंचाने के लिए जयपुर ट्रैफिक पुलिस की सहायता ली।
14 वर्षीय बस्सी, जयपुर निवासी विशाल 26 जनवरी 2021 को बस्सी जयपुर में अपने तीन दोस्तों के साथ बाईक से कही जा रहा था, जहां आगे चल रही बस के ड्राईवर ने अचानक ब्रेक लगा दिये। जिससे बाईक असंतुलित होकर बस से टकरा गई। हेलमेट ना पहनने की वजह से विशाल गंभीर रूप से घायल हो गया। जहां उसे सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती करवाया गया। 31 जनवरी को हालत नाजुक होने के कारण परीक्षण किए गए और विशाल को ब्रेन डैथ घोषित कर दिया गया। परिवार के सदस्यों की समझाइश के बाद 2 फरवरी 2021 को विशाल के परिवारजन द्वारा अंगों का दान करने का पुण्य फैसला लिया।
विशाल ने 14 वर्ष की छोटी सी उम्र में भी अपनी मृत्यु के बाद भी 4 लोगों को जीवन देकर राजस्थान के अंगदान इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अपना नाम दर्ज करवा लिया है।