पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के महासचिव अनीस अहमद ने अपने हालिया बयान में दिल्ली हाईकोर्ट में संगठन के बारे में दिल्ली पुलिस के झूठे बयान की कड़ी निंदा की है। अपने बयान में अनीस अहमद ने कहा कि “जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखते समय दिल्ली पुलिस ने पॉपुलर फ्रंट के संबंध में कई फर्जी और झूठे दावे किए हैं।
दिल्ली पुलिस ने हमेशा से मनगढ़ंत कहानियां बनाकर अदालत को गुमराह करने की कोशिश की है। कई बार खुद अदालत ने इस बात की आलोचना की है कि पुलिस ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा के समय क्या किया। “उन्होंने आगे कहा कि शाहीन बाग का प्रदर्शन एक जन-प्रदर्शन था, जिसकी शुरुआत, नेतृत्व और उसको चलाने में सभी धर्मों और विचारधाराओं के लोगों का रोल रहा है न कि किसी विशेष दल या समूह का।
अनीस अहमद ने कहा कि “पॉपुलर फ्रंट की लीडरशिप ने प्रदर्शन के समय ही इस बात को स्पष्ट कर दिया था कि संगठन इसका नेतृत्व नहीं कर रहा है, मगर नागरिक अधिकारों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की बुनियाद पर हमने एनआरसी और सीएए जैसी जन-विरोधी नीतियों के खिलाफ शाहीन बाग की जनता के लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन के अधिकार का समर्थन किया। लेकिन पुलिस शुरू से ही शाहीन बाग के इस ऐतिहासिक लोकतांत्रिक प्रदर्शन को एक आपराधिक अमल का रंग देने की फिराक में रही है।
दिल्ली पुलिस पहले पॉपुलर फ्रंट को एक देश-विरोधी संगठन दिखाकर और फिर किसी भी लोकतांत्रिक प्रदर्शन को पॉपुलर फ्रंट से जोड़कर उसे ग़ैर-कानूनी व आपराधिक अमल की तरह पेश करके एक ही तीर से दो निशाना लगाने का प्रयास कर रही है।” उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली पुलिस ने 2020 में भी पॉपुलर फ्रंट के दिल्ली प्रदेश पदाधिकारियों को फर्जी मुकदमों में फंसा कर उन्हें निशाना बनाने की कोशिश की थी।