कृषि वैज्ञानिक लैब में अर्जित ज्ञान और किसान के परम्परागत ज्ञान का समन्वय कर किसान की आय बढाने का हरसम्भव प्रयास करें। जिला कलेक्टर राजेन्द्र किशन ने मंगलवार को जिला मुख्यालय स्थित फ्लोवर एक्सीलेंस सेंटर (फूल उत्कृष्टता केन्द्र) का तथा कुस्तला में अमरूद बगीचे व प्रोसेसिंग यूनिट का अवलोकन करने के बाद उद्यानिकी, कृषि एवं विपणन विभाग के अधिकारियों को ये निर्देश दिये।
उल्लेखनीय है कि जिला कलेक्टर ने एक दिन पहले ही बैंक, सहकारिता और कृषि विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर किसान को उसकी उपज की ग्रेडिंग, पैकेजिंग, भण्डारण और विपणन सुविधा सुदृढ़ीकरण करने के लिये प्रशिक्षित करने, लोन दिलवाने की प्रक्रिया सरल कर जिले में अधिक से अधिक वेयरहाउस, फूड प्रोसिंसिंग यूनिट लगवाने के निर्देश दिये थे।
कलेक्टर ने मंगलवार को अपराह्न खेल स्टेडियर के सामने बने फूल एक्सीलेंस सेंटर में गंगानगरी गुलाब, पुष्करी गुलाब, रजनीगंधा, कट फ्लावर, गेंदा, मेरिगोल्ड, चायना एस्टर, ग्लेडियोलस की खेती, पौध विकसित करने की क्यारिंयां, पॉली हाउस, बीज संरक्षण व पौध विकास प्रक्रिया का अवलोकन किया। अवलोकन कर कलेक्टर ने निर्देश दिये कि मीठे पानी वाले क्षेत्र के कम से कम 50 किसानों को पॉली हाउस, फूलों के बगीचे लगाने के लिये प्रोत्साहित करें, उन्हें ट्रेनिंग दें तथा उन्हें फूलों की मार्केटिंग व विपणन में मदद करें। इसके लिये स्थानीय होटल संचालकों को एक्सीलेंस सेंटर या किसान के बगीचे की विजिट करवायें। एक्सीलेंस सेंटर में जल्द ही गुलाब प्रोसेसिंग यूनिट लगेगी। इससे गुलाब की खेती करने वाले किसानों को गुलाब जल, गुलकंद आदि निर्माण की यहीं तकनीकि जानकारी दी जा सकेगी। उन्हें अपने खेत पर ही प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिये समझाया जाएगा। कलेक्टर ने निर्देश दिये कि किसानों को जानकारी दें कि प्रोसिंसिंग यूनिट में सोलर संयत्र लगाने पर 10 लाख रूपये तथा 10 लाख रूपये लागत के पॉली हाउस निर्माण पर 7 लाख रूपये अनुदान दिया जा रहा है।
अमरूद प्रोसेसिंग यूनिट का किया अवलोकन:- कलेक्टर राजेन्द्र किशन ने मंगलवार की शाम कुस्तला में प्रगतिशील किसान द्वारा स्थापित अमरूद प्रोसेसिंग यूनिट का अवलोकन किया। इस पर 36 लाख रूपये की लागत आयी है। इसमें से 9 लाख 44 हजार रूपये का सरकार ने अनुदान दिया है। प्रसंस्करण यूनिट के मालिक ने बताया कि यूनिट में किस प्रकार बीज को अलग किया जाता है तथा अमरूद के पल्प को संरक्षित कर केंडी एवं अन्य उत्पाद बनाने के काम लिया जाता है। कलेक्टर ने कृषि उपज मंडी समिति के सचिव एवं उद्यान विभाग के अधिकारियों से कहा कि अमरूद का समुचित मूल्य किसान को मिले, इसके लिये जिले में अन्य प्रोसिंसिंग ईकाइयां लगनी चाहिए। प्रसंस्करण यूनिट के माध्यम से अमरूद को 18 माह तक पल्प के रूप में सुरक्षित रखा जा सकता है। वर्तमान में इस यूनिट के मालिक संरक्षित पल्प को जयपुर स्थित कैंडी निर्माण ईकाई को विक्रय कर रहे हैं। जिला कलेक्टर ने प्रोसेसिंग प्लांट में अमरूद को संरक्षित करने की यूनिट का निरीक्षण कर इसकी कार्यपद्धति को समझा। उन्होंने उद्यानिकी विभाग एवं कृषि उपज मंडी समिति के सचिव को निर्देश दिये कि क्षेत्र के किसानों को कुस्तला स्थित इस अमरूद प्रोसेसिंग यूनिट की विजिट करवायें ताकि वे स्वयं या समूह में ऐसी यूनिट लगवाने के लिये तैयार हो। इसके लिये उन्हें प्रशिक्षण, लोन, विपणन, ग्रेडिंग, पैकेजिंग में हरसम्भव सहायता दी जाएगी। कलेक्टर ने जिले में अमरूदों की प्रचुरता को ध्यान में रखते हुए प्रसंस्करण इकाई लगवाने की दिशा में कार्य करने तथा अधिक से अधिक किसानों को इसके लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए। जिससे अमरूद उत्पादक अपने उत्पाद का अधिक से अधिक मूल्य प्राप्त कर सके तथा इसे संरक्षित कर सके। कृषि उपज मंडी सचिव ने बताया कि जिले में अन्य स्थानों पर भी किसानों को इसके लिए प्रेरित किया जा रहा है। उद्यमियों से संपर्क कर प्रसंस्करण यूनिट स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे है।