Saturday , 30 November 2024

सरकार के सूर्य नमस्कार के फैसले को कोर्ट में चुनौती, याचिका पर सुनवाई आज, सरकार का यह आदेश व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन

दिलावर बोले: स्कूल में सभी को सूर्य नमस्कार करना होगा, अगर कोई नहीं आना चाहता है तो वो अलग बात है, वैसे भी स्कूलों में 100 प्रतिशत कभी उपस्थिति नहीं रहती 

राजस्थान सरकार के स्कूलों में सूर्य नमस्कार कराने के निर्णय को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई हैं। हाईकोर्ट में आज बुधवार को मामले की सुनवाई होगी। एआईएमआईएम के प्रदेश महासचिव कासिफ जुबैरी ने हाईकोर्ट में सरकार के निर्णय के खिलाफ याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार का स्कूलों में सूर्य नमस्कार कराने का निर्णय गैर संवैधानिक हैं। यह संविधान के आर्टिकल-25 का उल्लंघन करता है। आर्टिकल-25 में हर व्यक्ति को धर्म की स्वतंत्रता दी गई है। सरकार का यह आदेश व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है। इसे रद्द किया जाए, अथवा इसे अनिवार्य रूप से लागू नहीं करके ऑप्शनल रखा जाए। गौरतलब है कि शिक्षा विभाग ने सूर्य सप्तमी के अवसर पर आगामी 15 फरवरी को विद्यालयों में सामूहिक सूर्य नमस्कार कार्यक्रम आयोजित करने का आदेश निकाला हैं।

 

शिक्षा मंत्री दिलावर सूर्य नमस्कार पर बोले :

हाईकोर्ट में याचिका के सवाल पर राजस्थान सरकार में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन सूर्य नमस्कार कोई धार्मिक क्रिया नहीं है। उन्होंने कहा कि विश्व के कई देशों ने इसे स्वीकार किया गया है। इसलिए 21 जून को योग दिवस मनाया जाता है। सूर्य नमस्कार एक तरह का सर्वांग योग हैं। इसमें सभी तरह के योग समाहित हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के आदेश सभी स्कूलों में अनिवार्य रूप से लागू रहेंगे। स्कूल में आने वाले सभी लोगों को सूर्य नमस्कार करना होगा। अगर कोई नहीं आना चाहता है तो वो अलग बात है। उन्होंने कहा कि वैसे भी स्कूलों में 100 प्रतिशत कभी उपस्थिति नहीं रहती है। कई विद्यार्थी कई वजह से स्कूल नहीं आ पाते हैं। जमियत उलेमा-हिन्द संगठन ने शिक्षा विभाग के आदेश की निंदा की हैं। संगठन ने मुस्लिम समुदाय से इसके बहिष्कार की अपील की हैं।

 

Government's decision of Surya Namaskar challenged in rajasthan high court

 

जमियत उलेमा-हिन्द ने की सूर्य नमस्कार के बहिष्कार करने की अपील

जमियत उलेमा-हिन्द ने प्रस्ताव पास करके मुस्लिम समुदाय से स्कूलों मे सूर्य सप्तमी के उपलक्ष्य में हो रहे सूर्य नमस्कार के आयोजन के बहिष्कार की अपील की हैं। संगठन का कहना है कि इस तरह का आदेश धार्मिक मामलों में खुला हस्तक्षेप और संविधान में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है। संगठन के प्रदेश महासचिव अब्दुल वाहिद खत्री के अनुसार जमियत उलेमा-हिन्द की राज्य कार्यकारिणी ने स्पष्ट किया है कि बहुसंख्यक हिन्दू समाज में सूर्य की भगवान, देवता के रूप में पूजा की जाती है। इस अभ्यास में बोले जाने वाले श्लोक और प्रणामासन्न, अष्टांगा नमस्कार इत्यादि क्रियाएं एक इबादत का रूप है और इस्लाम धर्म में अल्लाह के सिवाय किसी अन्य की पूजा अस्वीकार्य है। इसे किसी भी रूप या स्थिति में स्वीकार करना मुस्लिम समुदाय के लिए सम्भव नहीं है। संगठन ने मुस्लिम समुदाय से 15 फरवरी को विद्यार्थियों को स्कूल नहीं भेजने की अपील करते हुए इस आयोजन का बहिष्कार करने के लिए कहा है

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