भारतीय शिक्षा समिति गंगापुर सिटी, सवाई माधोपुर के जिला व्यवस्थापक कानसिंह सोलंकी की प्रेरणा से आध्यात्मिकता से संस्कारों की ओर संकल्पना को लेकर शहर, ब्रह्मपुरी बस्ती में स्थित श्रीसीताराम बिहारी मन्दिर में श्रीरामदेवजी महाराज चरित्रामृत कथा का आयोजन 111 कलश यात्रा के साथ शुभारम्भ हुआ। जिला प्रचार-प्रसार प्रमुख एवं जिला निरीक्षक महेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि कथावाचक पण्डित लक्ष्मीकांत शास्त्री ने अपने मुखारविंद से कहा कि श्रीकृष्ण के अवतार रामदेव का प्राकट्य सन 1442 में भादवा सुदी दोज के दिन राजस्थान के पोकरण के ताम्रवंशी राजा अजमल के यहां हुआ था। आपने कहा कि राजा अजमल श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन रहने के साथ ही धर्मपरायण राजा भी थे। लेकिन उनकी भी विडंबना थी। वह निरूसन्तान थे। एकबार भगवान द्वारिकाधीश की कृपा से उनके राज्य में बहुत अच्छी बारिश हुई। बारिश के ही दिन में जब एक दिन सुबह किसान अपने खेतों में जा रहे थे, तो रास्ते में उन्हें उनके राजा अजमल मिल गए।
किसान उन्हें देख वापस घर की तरफ जाने लगे। यह देख राजा ने पूछा कि वापस क्यों जा रहे हो, तो किसानों ने बताया कि राजा अजमल आप निसंतान है, इसलिए आपके सामने आने से अपशगुन हो गया है और अपशगुन के समय में हम बुआई नहीं करेंगे। राजा ने जैसे ही यह सुना तो बहुत दुखी हुए। लेकिन एक कुशल शासक और गरीबों के मसीहा होने के नाते उन्होंने किसानों को तो कुछ नहीं कहा, पर घर वापस आकर काफी निराश और परेशान हुए। बहुत दुखी होने के कारण राजा समुंदर के किनारे गए और समुद्र में कूद गए। भगवान द्वारिकाधीश ने राजा अजमल को समुद्र में दर्शन दिए। श्रीकृष्ण ने स्वयं बलरामजी के साथ उनके घर अवतरित होने का वरदान दिया और कहा कि वह स्वयं भादवा की दोज के दिन राजा अजमल के घर पुत्र रूप में जब मैं तेरे घर आऊंगा, तो आंगन में कुमकुम के पैर के निशान बन जाएंगे।
मंदिर के शंख अपने-आप बजने लगेंगे। वरदान अनुसार पहले बलरामजी ने वीरमदेव के रूप में राजा अजमल की पत्नी मैणादे के गर्भ से जन्म लिया, इसके नौ माह बाद भगवान भादवा की दोज के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राजा अजमल के घर रामदेव के रूप में जन्म लिया। भगवान रामदेव कलयुग के अवतारी थे।
इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक मुकेश कुमार, भारतीय शिक्षा समिति के जिला व्यवस्थापक कानसिंह सोलंकी, जिला सचिव जगदीश प्रसाद शर्मा, जिला कार्यकारिणी सदस्य राजेन्द्र शर्मा, शंकरलाल प्रजापत, बाबूलाल पेंटर, दिनेश सिंह गोहिल, प्रबंध समिति अध्यक्ष कमलेश अग्रवाल, नरेन्द्र मोहन गर्ग, व्यवस्थापक विष्णु माथुर, सुरेश गर्ग, सुरेन्द्र सिंह, कोषाध्यक्ष मंगलेश शर्मा, रामबाबू गर्ग, सदस्य दामोदर सैनी, संयोजक व प्रधानाचार्य सुमन श्रीमाल, हरेकृष्ण शर्मा, दामोदर शर्मा, हंसराज वैष्णव, महेश शर्मा, दीनदयाल शर्मा, आचार्य अवधेश शर्मा, सुनील शर्मा, हंसराज प्रजापत, कपिल शर्मा, रामप्रसाद माली, गोपाल शर्मा, सतीश शर्मा, तुलसीराम शर्मा, दामोदर शर्मा, महेश सैन, अमरसिंह पूर्विया, लटूरलाल मीना, विनोद जैन, रामसेवक गुप्ता, विजय कासौटिया, विमला राठौर, धनेश्वरी मेहरा, सत्यनारायण काछी, विजयलक्ष्मी, केन्द्र चालक ऊषा शर्मा, दीपिका सैनी, महेश शर्मा, विजय कासौटिया, लक्ष्मीचन्द गुप्ता, हनुमान योगी, जिला संस्कार केन्द्र प्रमुख महेन्द्र वर्मा, संगीतज्ञ रमेश शर्मा, प्रदीप शर्मा, विडियो ग्राफिक्स भरत माहेश्वरी आदि उपस्थित थे।