दुनिया में बाघों के लिए विख्यात रणथंभौर टाईगर रिजर्व में प्रतिवर्ष एक बाघ 60 लाख रुपये पर्यटकों से कमाकर दे रहा है। इसके बावजूद उसके बाघों की बेहतरी व सुरक्षा के लिए वन विभाग के पास कोई ठोस योजना नहीं है।
पीपुल फाॅर एनीमल्स के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू ने सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त प्रमाणित आंकड़ो के अनुसार बताया कि वर्ष 2019-20 में बाघों को पर्यटकों को दिखाकर वन विभाग ने रणथंभौर राष्ट्रीय पार्क में 29 करोड़ 95 लाख 49 हजार 284 रूपये कमाए वहीं सरिस्का टाईगर रिजर्व में 1 करोड़ 54 लाख 57 हजार 775 रूपये कमाए। जाजू ने आगे बताया कि रणथंभौर टाईगर रिजर्व में मौजूदा प्रत्येक बाघ 60 लाख रूपया प्रतिवर्ष कमाकर दे रहा है। टाइगर रिजर्व प्रशासन का सूचना तंत्र कमजोर होकर नाकाम हो गया है। टाईगर रिजर्व के अधिकारी बाघों की सुरक्षा भी ठीक से नहीं कर पा रहे हैं व आये दिन बाघों के साथ ही अन्य वन्यजीवों के शिकार की घटनाएं बढ़ रही है।
जाजू ने बताया कि वन विभाग बाघों को दिखाकर केवल धन बटोरने में लगा है। जाजू ने आगे कहा कि बाघों को दिखाकर धन कमाने के बाद भी विभाग द्वारा रणथंभौर के आसपास बसे हुए गांवो को विस्थापन की योजना को मूर्त रूप नहीं दे रहा है न ही टाईगर रिजर्व के आसपास बसे गांवो के ग्रामीणों के लिए रोजगार, उच्च शिक्षा, चिकित्सा व्यवस्था की जा रही है, जिससे ग्रामीणजन टाईगर रिजर्व को सहयोग करने के बजाय शिकारियों को सहयोग कर रहे हैं। जाजू ने रणथंभौर के आसपास के निवासियों को आज की दर से मुआवजा देकर विस्थापित करने व उनके रोजगार, उच्च शिक्षा व चिकित्सा की व्यवस्था उपलब्ध कराने की पैरवी की।
जाजू ने रणथंभौर टाईगर रिजर्व में बाघों की संख्या को दृष्टिगत रखते हुए जल्दी ही बूंदी के राम विषधारी में 800 वर्ग किमी व कुम्भलगढ़ अभयारण्य जो कि 610 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में फैला है उसमें अलग से बजट का प्रावधान कर टाईगर रिजर्व बनाने की मांग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से की है। जाजू ने बताया कि कुम्भलगढ़ घना जंगल व बाघों के लिए सुरक्षित स्थल होकर उदयपुर, राजसमंद व पाली से जुड़ा हुआ है। जाजू ने यहां यह भी बताया कि राम विषधारी बूंदी में रणथंभौर से बाघ लगातार आ रहे हैं, ऐसे में नये टाईगर रिजर्व जल्द ही बनाने की आवश्यकता है।