रणथंभौर नेशनल पार्क के जोन नंबर 7 में जामोदा के नाले में गत शुक्रवार सुबह बाघिन टी-61 का शव मिलने से हड़कंप मच गया। सुबह की पारी में रणथंभौर भ्रमण पर गए पर्यटकों को बाघिन दिखाई दी। बाघिन के काफी देर तक कोई मूवमेंट नहीं करने पर इसकी जानकारी पर्यटकों ने वन विभाग को दी।
सुचना पर वनकर्मी मौके पर पहुंचे, वनकर्मियों ने बाघिन के पास पत्थर फैंका लेकिन इसके बाद भी बाघिन में कोई हलचल नहीं हुआ। वनकर्मियों ने इस संबंध में वन अधिकारियों को इसकी सूचना दी। इसके बाद वन अधिकारी, तहसीलदार और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को लेकर मौके पर पहुंचे।
वनकर्मियों ने बाघिन के शव को नाले से बाहर निकाला और शव को राजबाग वन चौकी पर लेकर आए। राजबाग वन चौकी पर वन विभाग के पशु चिकित्सक डॉ. सीपी मीणा, पशु चिकित्सक डॉ. राजीव गर्ग एवं डॉ. सुनील शर्मा आदि ने बाघिन का पोस्टमार्टम किया। इसके बाद अधिकारियों की मौजूदगी में बाघिन के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
पशु चिकित्सक डॉ. सीपी मीना ने बताया कि बाघिन के शरीर पर चोट का कोई निशान नहीं मिला है। हालांकि बाघिन के पेट के बाये हिस्से में अन्दरुनी चोट आई है। प्रथम दृष्टया बाघिन की मौत अन्दरुनी चोटों के कारण होना ही प्रतीत हो रहा है। हालांकि की बाघिन की मौत के सही कारणों का पता पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद ही हो सकेगा।
ऊंचाई से गिरने की आशंका
रणथंभौर में जिस स्थान पर बाघिन टी-61 का शव मिला है उसके दोनों ओर पहाड़ी है। ऐसे में वन अधिकारी इस बात की आशंका जता रहे हैं कि संभवतया: बाघिन रात में किसी शिकार का पीछा करते वक्त अचानक ही पहाड़ी से नीचे नाले में गिर गई हो। वन विभाग की ओर से इस पहलू की भी जांच की जा रही है।
बाघिन टी-61 का इतिहास
बाघिन टी-61 की उम्र करीब 12 साल बताई जा रही है और यह बाघिन टी-8 यानि लाडली और बाघ टी-34 (कुम्भा) की बेटी है। यह बाघिन रणथंभौर में केवल एक बार ही मां बनी थी। इसने तब दो शावकों को जन्म दिया था। इसकी टेरेटरी जोन 7 व 8 में ही रही है।
ये भी पढ़ें:- रणथंभौर नेशनल पार्क में मृत अवस्था में मिली बाघिन टी-61