प्रदेश की गहलोत सरकार ने शिक्षकों को दो हिस्सों में बांट दिया, एक हिस्सा है सम्मानित करने का और दूसरा हिस्सा अपमानित करने का। गहलोत सरकार द्वारा सम्मानित होने वाले शिक्षकों में, प्रोफेसर, प्रधानाचार्य और व्याख्याता जिनको अपने साढ़े 3 साल के कार्यकाल में 3 से 4 बार ट्रांसफर करके सम्मान दिया। लेकिन बात करें थर्ड ग्रेड शिक्षकों की तो सरकार ने अपने कार्यकाल में 2 से 3 बार स्थानांतरण के लिए बैन तो खोले लेकिन बार-बार बिना स्थानान्तरण किए बैन लगा दिए।
एक बार तो फार्म ऑनलाइन तक भरवा लिए, लेकिन सरकार सिर्फ शिक्षकों में ग्रेड देखती है। शिक्षक मोईन खान ने बताया की पिछले 3 सालों से मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री तृतीय श्रेणी अध्यापकों के लिए नीति की बात कर रहे है, लेकिन नीति आज तक नहीं बन पाई, जब बड़े रसूखदार ग्रेड वाले अध्यापकों के बिना किसी नीति के स्थानांतरण किये जाते है तो फिर क्यों तृतीय श्रेणी अध्यापकों के स्थानांतरण नहीं किए जा रहे है।
जब भी बड़े ग्रेड वाले शिक्षकों की लिस्ट आती है तो हमे अपमान की नजर से खुद को देखना पड़ता है कि आखिर तृतीय श्रेणी अध्यापकों की क्या गलती है जो सरकार के जू तक नही रेंग रही। आश्चर्य की बात यह है कि बड़े ग्रेड वाले शिक्षकों ने स्थानांतरण के लिए न कभी धरना दिया और न ही कभी प्रदर्शन लेकिन फिर भी मलाई उन्हें बार – बार खिलाई जा रही है, जबकि तृतीय श्रेणी अध्यापकों ने अलग – अलग संगठनों के माध्यम से कई बार धरने – प्रदर्शन किए लेकिन सरकार की हठधर्मिता की वजह से कम ग्रेड के अध्यापकों को बेरंग रहना पड़ा। या फिर यूं कहें कि शिक्षक दिवस से कुछ दिन पहले आई व्याख्याता, प्रधानाचार्य और सीनियर टीचर्स स्थानांतरण सूची गहलोत सरकार द्वारा तृतीय श्रेणी अध्यापकों के मुंह पर मारा गया जोरदार तमाचा है।