अणुव्रत नैतिकता, जागृत मानवता व चरित्र निर्माण का अनूठा आंदोलन है। आंदोलन अपनी मांगों को मनवाने के लिए किए जाते हैं किंतु देश की आजादी के साथ ही श्रद्धेय आचार्य श्री तुलसी ने स्वार्थ से परे मानव मात्र के चरित्र निर्माण हेतु अणुव्रत आंदोलन की शुरुआत की।अणुव्रत की आचार संहिता धर्म सम्प्रदाय से परे मानव मात्र के आध्यात्मिक उन्नयन के लिए निर्मित है।
ये विचार युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुविनीत सुशिष्य मुनिश्री सुमतिकुमार जी ने आदर्श नगर स्थित अणुव्रत भवन में अणुव्रत उदबोधन सप्ताह के तृतीय दिन अणुव्रत प्रेरणा दिवस पर व्यक्त किये। उन्होंने आगे कहा कि आचार्य श्री तुलसी की दृष्टि व्यापक व लीक से हटकर थी इसलिए सभी वर्गों से अणुव्रत को अपार समर्थन प्राप्त हुआ है।
जरूरत इस बात की है कि हम अणुव्रत संहिता को केवल जानकर नहीं रह जाए, उसे जीवन में उतारे और जीवन को चेतन्य बनाए। मुनिश्री देवार्य कुमारजी ने अणुव्रत को मानव जीवन की सुरक्षा हेतु छत की उपमा देते हुए अणुव्रत आचार संहिता के नियमों की जानकारी दी।
इससे पूर्व अणुव्रत प्रेरणा दिवस कार्यक्रम की शुरुआत श्राविका सुरेखा जैन के अणुव्रत प्रेरणा गीत से हुई। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष धर्मराज जैन, पूर्व अध्यक्ष अनिल जैन एडवोकेट व वरिष्ठ श्रावक लड्डूलाल जैन ने भी अणुव्रत के संदर्भ में अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन व आभार ज्ञापन अणुव्रत समिति के अध्यक्ष प्रकाश चन्द जैन सुनारी ने किया।