रणथम्भौर में बाघिन टी-84 के क्षेत्र में पर्यटन वाहन 24 घंटे के लिए बंद किए गए है। वन मंत्री संजय शर्मा ने बताया कि मादा बाघिन टी-84 के पिछले बाये पैर में लंगड़ापन व बार-बार घाव होने की वजह से वेटनेरी विशेषज्ञ डॉ. पराग निगम, भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून, डॉ. ए.वी. वास्तव जबलपुर, डॉ. अरविन्द माथुर, डॉ. वाई.पी. सिंह एवं डॉ. सी.पी. मीना की सलाह पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, राजस्थान द्वारा मादा बाघिन टी-84 को ट्रेंक्यूलाइज कर उपचार करने की अनुमति दी गई।
क्षेत्र निदेशक रणथम्भौर बाघ परियोजना द्वारा वेटरनरी बोर्ड का गठन कर शुक्रवार को टी 84 को एन.टी.सी.ए. के प्रोटोकॉल के अनुसार ट्रेंक्यूलाइज कर उपचार किया गया एवं सैम्पल लिये गये जिन्हें जॉच के लिए आई.वी. आर.आई. बरेली भेजा जा रहा है। साथ ही हिप ज्वांइट का एक्स-रे किया गया। वेटनेरी बोर्ड द्वारा प्रथम दृष्टया बोन ट्यूमर चिन्हित कर कन्जर्वेटिव चिकित्सा की गयी। उपचार उपरांत टी-84 को रिवाइव कर उसके तीन शावकों के साथ विचरण करने हेतु रिलीज कर दिया गया है। बाघिन की 24 घन्टे मॉनीटरिंग की जा रही है और उसके क्षेत्र में पर्यटन वाहन 24 घन्टे के लिए बंद कर दिये गये है।