अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के प्रतिष्ठित वैश्विक फेसबुक पटल पर ” एक शाम, विज्ञान कविता के नाम ” कवि सम्मेलन का सवाईमाधोपुर से वर्चुअल आयोजन हुआ। कवि सम्मेलन में सभी ने विज्ञान पर आधारित कविताएं प्रस्तुत की।
इस अवसर पर नोएडा उत्तर प्रदेश से डॉ. कल्पना पांडे, देहरादून उत्तराखंड से राकेश जुगरान, ग्वालियर मध्य प्रदेश से रामवरण ओझा, गोवा से डॉ. शुभ्रता मिश्रा, ग्रेटर नोएडा से अरूण पासवान, गुरुग्राम हरियाणा से यशपाल सिंह ‘यश’, सवाईमाधोपुर से डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी एवं गाजियाबाद से पण्डित सुरेश नीरव ने शानदार काव्य पाठ किया।
कवि सम्मेलन का संचालन डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी ने किया तथा अध्यक्षता पंडित सुरेश नीरव ने की। डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना के साथ कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। डॉ. कल्पना पांडे ने अपनी रचना “करती हूं बात शून्य की, जिसमें बड़ी गहराई है, अंक के आगे है शून्य, पीछे भी शून्य, दोनों है महारथी, अंतर रखते भेद करते, गणित की गणित में मुस्कुराते, गणित में भी गणित लगाते, उलझनें पैदा करते कशमकश में डालते, परिणाम निकालने की जद्दोजहद में, शून्य में ही में लटका देते, प्रस्तुत की।
राकेश जुगरान ने अपनी रचना गिरे सेव को खाकर न्यूटन, भीड़ में शामिल हो जाता, गुरुत्वाकर्षण के रहस्य को कौन हमें समझा पाता, काव्य रचना प्रस्तुत की। रामवरण ओझा ने अपनी रचना हम तो आदि मनुज थे लेकिन, धीरे धीरे काम किया, पत्थर से पत्थर टकराकर आग जलाना सीख लिया प्रस्तुत की।
डॉ. शुभ्रता मिश्रा ने अपनी रचना व्हेल हमें माफ कर देना, आंतों में जब चिपके होंगे, छोटे बड़े प्लास्टिक टुकड़े, पोषण – पोषण तरसी होगी, मानो व्हेल पूछ रही थी, कब तक और पड़ेगा सहना, व्हेल हमें माफ कर देना, प्रस्तुत की।
अरुण पासवान ने अपनी रचना धुआं धुआं – धुआं और धुआं, धरती पर धुआं, आकाश में धुआं, फटती ओजोन परत, गर्म होता संसार, अब वायु मंडल प्राण वायु कम प्राण संकट ज्यादा देता है, प्रस्तुत की। यशपाल सिंह ने अपनी रचना विकसित हो विज्ञान, जहां प्रश्नों का सम्मान, प्रश्न उठा तो बढ़ गया, एक कदम विज्ञान, प्रस्तुत की।
डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी ने कुछ दोहे प्रस्तुत करते हुए कहा सब नदियों को हो गया, सूखे वाला रोग, जंगल जोगी हो गए, धरा भोगती भोग, गंगा तेरी धार में, सब धोते निज पाप, करनी कर्ता कर गए, तू झेले संताप, धोकर सबके पाप भी, गंगा रही पवित्र, मैला का मैला रहा, तेरा मनुज चरित्र। अंत में कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।