राज्य सरकार द्वारा गांवों के विस्थापन पैकेज में सितम्बर माह में कुछ संशोधन किया है। जो विस्थापित गांवों द्वारा नवीन पैकेज को स्वीकार नहीं किया जा रहा है। नये पैकेज में सरकार ने भूमि डीएलसी दर के अनुसार देना तय किया है। जो उनकी भूमि की वास्तविक भूमि भी नहीं मिल पा रही है। क्योंकि बाघ परियोजना के आसपास बसे गांवों की भूमि की कीमतें काफी कम है। कुछ गांव ऐसे हैं जो विस्थापित हेतु नवीन पैकज से पूर्व ही पुराने भूमि पैकेज के अनुसार विस्थापन होने के लिए वन विभाग को सहमति दे चूका है।
इन गांवों को पुराने पैकेज से ही विस्थापन करने के सरकार से स्वीकृति दिलाने के लिये उच्च स्तर से प्रस्ताव मांगा है, जो विभाग द्वारा भेजा हुआ है। जिसमें हज्जाम खेड़ी, तालड़ा खेत व भैरुपुरा का प्रस्ताव भेजा है, जो 5 महीने से राज्य सरकार के स्तर पर लंबित है। ग्रामीण कई बार सरकार को वन विभाग व जिला प्रशासन के माध्यम से एवं स्वयं भी सरकार से मिलकर प्रस्ताव की मंजूरी की मांग कर रहे है। लेकिन स्वीकृति के अभाव में विस्थापन की गति आगे नहीं बढ़ रही है। साथ ही नये पैकेज में भी सरकार ने कुछ संशोधन के सुझाव विभाग से मांगे है। उनमें भी कोई संशोधन नहीं किया जा रहा है।