प्रदेश में केंद्र द्वारा अनुमत 10 प्रतिशत और राष्ट्रीय औसत 6 प्रतिशत की तुलना में वैक्सीन का वेस्टेज 18-44 आयु वर्ग में शून्य व 45 से अधिक आयु वर्ग में मात्र 2 प्रतिशत है। इसमें भी अधिक गर्व कि बात यह है वेस्टेज रोकने में सवाईमाधोपुर जिला राज्य में अग्रणी रहा है। कोरोना वैक्सीनेशन अभियान में वैक्सीन की 1 भी बूंद व्यर्थ न जाए, इसके लिए जिला कलेक्टर राजेन्द्र किशन ने अभिनव नवाचार किया जिसका परिणाम यह रहा कि जिले में वेस्टेज प्रतिशत 0.2 प्रतिशत रहा जो पूरे राज्य में न्यूनतम है। जिला कलेक्टर ने इस नवाचार के अन्तर्गत हैल्थ वर्कर्स को इस बात के लिए मोटिवेट किया था कि पात्र लोगों को इस बाबत सेंसीटाइज किया जाए कि वे वैक्सीन लगवाने सेंटर पर जाए तो पात्र श्रेणी के परिजन, मित्र और पडौसी से भी उसी समय चलने का आग्रह करें। शाम को टाइम लिमिट समाप्त होने से कुछ मिनटों पहले तक वैक्सीन की शीशी खोलने से पहले इंतजार किया गया कि पूरे 10 पात्र मौजूद हो।
इनमें कमी हुई तो सेंटर के आसपास जाकर बाजार और घरों तक समझाइश की गई कि 1 या 2 पात्र(जितने जरूरी थे) लोग हमारे साथ चलकर वैक्सीन लगवा लें ताकि एक भी बूंद बर्बाद न हो। वैक्सीन वेस्टेज न्यूनतम रखने के लिए सवाई माधोपुर समेत पूरे राजस्थान में विशेष प्रयास किए गए। कई मामलों में किसी सेंटर पर बहुत कम लाभार्थी पहुंचे एवं समझाइश के बाद भी 10 से कम ही लोग एकत्र हो पाए तो उन्हीं लोगों को वैक्सीन लगानी पड़ी जो न्यायोचित भी है क्योंकि पात्र व्यक्ति का जल्द से जल्द टीकाकरण भी उतना ही जरूरी था जितना कि वैक्सीन की बर्बादी रोकना। कोविड-19 वैक्सीन की शीशी का उपयोग खोले जाने के मात्र चार घंटे की अवधि में ही किया जा सकता है। प्रत्येक शीशी में 10 डोज होती है और खोलने से निर्धारित 4 घंटे की अवधि समाप्त होने के बाद शेष डोजेज को डिस्कार्डेड माना जाता है।