जयपुर:- राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सदस्य सचिव विजय एन ने कहा कि प्रदूषण एक विकट समस्या बन चुका है फिर चाहे वो वायु प्रदूषण हो या जल प्रदूषण। उन्होंने कहा कि राज्य टेक्सटाइल के क्षेत्र में एक विशेष पहचान स्थापित किये हुए है। इसी के चलते राज्य के टेक्सटाइल हब भीलवाड़ा, पाली, सांगानेर, बालोतरा में कपड़ा उद्योग से होने वाला प्रदूषण बेहद चिंता का विषय है, जिस पर नियंत्रण करने के लिए प्रदूषण मंडल द्वारा लगातार कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आज की परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान में प्रदूषण नियंत्रण के लिए किये जा रहे प्रयासों के साथ नई तकनीक का भी उपयोग करना होगा ताकि प्रदूषण की समस्या से समय रहते निजात पाया जा सके। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सदस्य सचिव सोमवार को यहां आगामी पांच जून को आयोजित होने वाले विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सात दिवसीय हितधारक कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर उन्होंने टेक्सटाइल उद्योग से सम्बंधित हितधारकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम सभी का एक ही उद्देश्य होना चाहिए कि प्रदूषण को खत्म करते हुए कैसे कपड़ा उद्योग में सस्टेनेबल प्रक्टिसेस को अपनाया जा सके। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी को एक स्वक्छ वातावरण देना हमारा मौलिक कर्तव्य है एवं इसके लिए धरातल पर हमें संकल्पित होकर कार्य को अंजाम देना होगा।
तकनीक के उपयोग से प्रदूषण को किया जा सकता है नियंत्रित:-
विजय एन ने कहा कि बढ़ते जल एवं वायु प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए तकनीक का बेहतर उपयोग करना होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ओसीईएमएस, सीएएक्यूएमएस जैसी तकनीकों के जरिये लगातार प्रदूषण के स्तर पर नजर रखी जा रही है एवं बढ़ते प्रदूषण के लिए उचित उपाय किये जा रहे है।
उन्होंने माजूदा अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि आमजन को प्रदूषण नियंत्रण के तरीकों एवं इसके बढ़ने से होने वाले दुष्प्रभावों से जागरूक करने का कार्य प्राथमिकता से करें ताकि प्रत्येक नागरिक प्रदूषण नियंत्रण करने में अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निर्वाह कर सके।
जल प्रदूषण से अर्थव्यवस्था पर हो रहा दुष्प्रभाव:-
इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य अभियंता भवनेश माथुर ने पीपीटी प्रस्तुतीकरण के माध्यम से से बताया कि किस प्रकार जल प्रदूषण की समस्या हमारे आर्थिक वातावरण को प्रभावित कर रही है। साथ ही उन्होंने जल प्रदूषण की वजह से होने वाली बीमारियों के एवं प्रदूषित फल एवं सब्जियों के उत्पादन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि हम अभी जागरूक नहीं हुए और प्रदूषण की समस्या का संधान समय रहते नहीं किया गया तो वो दिन दूर नहीं पृथ्वी पर कार्बन की मात्रा ज्यादा बढ़ जाएगी एवं पानी एवं ऑक्सीजन का व्यापारीकरण बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि अत्यधिक प्रदूषण उत्सर्जन की वजह से कपड़ा उद्योगों का वृहदीकरण नहीं हो पा रहा है न ही ऐसी इकाइयों को बन्द किया जा सकता है, जिसकी वजह से राज्य की अर्थव्यवस्था बेहद प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि यदि हम पानी को ट्रीटमेंट के जरिये स्वच्छ कर भी लें तो प्रदूषित वायु उसे वापस प्रदूषित जल में परिवर्तित कर देती है, इसलिए स्वच्छ पानी के लिए वातावरण को भी स्वच्छ करना होगा। इस दौरान उन्होंने जीडीपी पर जल प्रदूषण से होने वाले नकारात्मक प्रभावों पर भी विस्तार से चर्चा की।
कार्यशाला के दूसरे सत्र के दौरान वर्तमान में एसटीपी परिदृश्य, द्रव्यवती नदी पुनर्जीवन परियोजना, एसटीपी से उपचारित पानी का उपयोग एवं एसटीपी संचालन व उपचारित पानी का उद्योगों में उपयोग विषयों पर विस्तार से चर्चा की गयी। उल्लेखनीय है कि मंडल द्वारा आगामी दिवसों में प्रत्येक दिन अलग-अलग विषयों पर 2 कार्यशाला आयोजित की जाएगी। जिसके तहत मंडल के अधिकारी, क्षेत्रीय अधिकारियों एवं हितधारकों द्वारा प्रतिभागिता की जाएगी।
इस अवसर पर मौजूद हितधारकों ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि मंडल द्वारा इस प्रकार का आयोजन करने से प्रदूषण नियंत्रण एवं उद्योगों के संचालन में आ रही समस्याओं एवं समाधानों पर विस्तार से चर्चा हो सकेगी। उन्होंने कहा कि मंडल ने नियम- कायदे लागू करने की जगह उन्हें नई तकनीकों को जानने, समझने व उनकी समस्याओं को सुनने का अवसर दिया, जिसके लिए उन्होंने मंडल का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला में मंडल वरिष्ठ अधिकारियों सहित क्षेत्रीय अधिकारियों ने भाग लिया।
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