सब कुछ सही रहा और लॉकडाउन से उपजे जन अनुशासन से कोरोना संक्रमण पर लगाम लगती रही तो अप्रैल का अन्तिम और मई का प्रथम सप्ताह कोरोना की दूसरी लहर का पीक माना जायेगा। अब स्थितियॉं बेहतर हो गयी है तथा कोरोना ग्राफ फ्लैट होने के बाद लगातार नीचे जा रहा है। जिले में मई के पहले 9 दिनों में 3310 केस मिले, अगले 8 दिनों में इसके आधे से भी बहुत कम यानि 1395 पॉजिटिव मिले। इसके बाद वाले 8 दिनों में तो 417 ही पॉजिटिव मिले। 1 मई से 8 मई की अवधि में केवल 4 दिन ऐसे रहे जब नए पॉजिटिव की संख्या से रिकवर की संख्या अधिक रही। 7 और 10 मई को तो 1 भी मरीज रिवकर नहीं हुआ। कहते हैं कि घने अंधेरे के बाद ही सूर्योदय होता है, जहां 10 मई को 1 भी पॉजिटिव रिकवर नहीं हुआ, वहीं 11 मई से 25 मई तक कोई ऐसा दिन नहीं गया जब रिकवर की संख्या से नए पॉजिटिव की संख्या अधिक रही हो यानि इस अवधि में अस्पतालों में लगातार कोरोना मरीजों की संख्या कम होती गई। मई माह के 25 दिनों की बात करें तो इस अवधि में 22 हजार 495 सैम्पल लिए गए जिनमें से 22.92 प्रतिशत यानि 5156 पॉजिटिव मिले। इस अवधि में 8119 मरीज रिकवर हो गए। 10 मई को जिले में कुल 307 सैम्पल में से 162 यानि 53 प्रतिशत पॉजिटिव मिले। मई माह की 1, 4, 5 तारीखों को भी सैम्पल के 40 प्रतिशत से अधिक पॉजिटिव मिले। 15 मई से लेकर मंगलवार, 25 मई तक किसी भी दिन 16 प्रतिशत से अधिक पॉजिटिव नहीं मिले। 24 मई को तो मात्र साढ़े 4 तथा 25 मई को साढे 6 प्रतिशत से भी कम पॉजिटिव मिले।
जिला कलेक्टर राजेन्द्र किशन ने बताया कि लॉकडाउन की सफल पालना के साथ ही डोर टू डोर सर्वे कर खांसी, जुकाम, बुखार के मरीजों की ट्रैकिंग कर उनका जल्द उपचार शुरू करने, उनके स्वास्थ्य का लगातार फीडबैक लेते रहने तथा इनमें से किसी को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पडते ही सीएचसी में भर्ती करने, सीएससी में ऑक्सीजनए दवाए स्टाफ की चाक चौबंद व्यवस्था करने की रणनीति कामयाब रही। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि हम कोरोना के सबसे बुरे दौर को पीछे छोड चुके हैं लेकिन अपनी बारी आने पर वैक्सीन लगवाने, सरकारी गाइडलाइन की अक्षरशः पालना करने, मास्क लगाने, शादी आदि समारोहों को फिलहाल टालने पर ही इस सफलता को स्थायी रख सकेंगे।