राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ, पीसीपीएनडीटी एक्ट की विधिक जानकारी, राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं राजश्री योजना, मुखबिर प्रोत्साहन योजना इत्यादि के बारे में कई कार्यक्रम आयोजित किये गये। कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, डाॅ. कैलाश चंद सोनी अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, डाॅ. दिलीप मीना ब्लाॅक सीएमओ, सुधीन्द्र शर्मा जिला कार्यक्रम प्रबंधक (एनएचएम), नवलकिशोर अग्रवाल डीएनओ, आशीष गौतम केस ऑफिसर एवं जिला समन्वयक (पीसीपीएनडीटी), विनोद शर्मा जिला कार्यक्रम प्रबंधक (एनयूएचएम), सुशील गुप्ता जिला लेखा प्रबंधक, विमलेश शर्मा आशा समन्वयक, अजयशंकर बैरवा सांख्यिकी अधिकारी, विजय विनय डीआई, आदित्य सिंह तंवर, डाॅ. नीति शर्मा डीपीसी व अन्य सहित एएनएम प्रशिक्षणार्थाी छात्राएं उपस्थित रही।
इस दौरान बालिकाओं के लिए राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं, नवीन मुखबिर योजना और पीसीपीएनडीटी अधिनियम से संबंधित विधिक सामान्य जानकारी के बारे में स्थानिय स्तर ऑडियो संदेश हेतु वाहन को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया। आशीष गौतम केस ऑफिसर एवं जिला समन्वयक (पीसीपीएनडीटी) ने बेटी अनमोल है का संदेश देने के लिए, बेटी बचाओ-बेटी पढाओ, पीसीपीएनडीटी एक्ट की विधिक जानकारी, राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं राजश्री योजना, मुखबिर प्रोत्साहन योजना इत्यादि की जानकारी प्रदान करने के लिए एएनएम प्रषिक्षण केन्द्र में आमुखीकरण सत्र का आयोजन किया गया।
![Medical Department celebrated National Girl Child Day in sawai madhopur](https://vikalptimes.com/wp-content/uploads/2022/01/Medical-Department-celebrated-National-Girl-Child-Day-in-sawai-madhopur-1.jpg)
जिसमें एएनएम प्रशिक्षण केन्द्र की छात्राओं, ऐसे अभिभावक जिनके एक या दो बेटी है सहित कार्यालय के कर्मियों को आशीष गौतम जिला समन्वयक (पीसीपीएनडीटी) ने उपस्थित प्रशिक्षणार्थीयों को राज्य व जिले में बेटीयों के जन्म नहीं लिए जाने, लिंग भेदभाव, कन्या भ्रूण जांच और हत्या के कारणों व परिणाम के बारें मे विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि हमारे समाज में घटती हुई बेटियों के कारण समाज में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में बढ़ोतरी हुई है।
हमारे परिवार में बेटीयों के जन्म नहीं देने के कारणों पर उदाहरण सहित समझाया की बेटीयों को सुरक्षा अपने ही बेटों से करनी है, बेटियां भी अपना वंश चलाने, धार्मिक संस्कारों का पालन करने तथा बुढापें में लाठी का सहारा बनी हुई है। इसलिए बेटी जन्म को उत्सव की तरह मनाया जाना चाहिए। बेटियों को प्रोत्साहित करना चाहिए जिससे वह परिवार, समाज सहित देश का मान बढ़ा सकें।
प्रशिक्षण में लिंग चयन करने वालों की सूचना देने के बारे मे बताया। कार्यक्रम में ऐसे अभिभावक जिन्होनें एक या दो बच्चियों पर नसबंदी करवाने व जिनके एक या दो बच्चियां है, इनसे प्रेरणा लेकर शपथ ली गई कि वे अपने आस-पास के समुदायों में अन्य लोगों को इस हेतु प्रेरित करेगें। ऐसे अभिभावकों को सम्मानित किया गया।