जिला कलेक्टर राजेन्द्र किशन ने आज गुरूवार को कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, डेयरी आदि विभागों की बैठक लेकर किसान और पशुपालक की आय बढ़ाने के लिये जिले में स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल नवाचार करने के निर्देश दिये ताकि कृषि वैज्ञानिकों के लैब मेें किये प्रयोगों का फायदा किसान के खेत में नजर आये।
कलेक्टर ने बताया कि जिले के किसान, पशुपालक जिनके पास 15 या अधिक गाय, भैंस हैं, उनका 7 दिन के भीतर पशुपालन विभाग सर्वे करेगा। इन्हें सूरवाल व अन्य स्थानों का भ्रमण करवाकर बायो गैस संयत्र संचालन की कार्यप्रणाली समझायी जाएगी। सूरवाल में उन्नत किसान जानकीलाल मीणा ने यह प्लांट लगाया है और अब वे गोबर, लकड़ी या गैस सिलेंडर का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। उनकी रसोई में इसी प्लांट की गैस का उपयोग किया जा रहा है। इसके निर्माण में लगभग 20 हजार रूपये की लागत आती है। इसमें से 12 हजार रूपये सरकार सब्सिडी के रूप में दे रही है। जो किसान संयत्र निर्माण करवाना चाहेगा, मास्टर ट्रेनर उदयपुर से आकर स्थानीय कारीगरों की मदद से निर्माण तो कर ही देंगे, स्थानीय कारीगरों को ट्रेनिंग भी देंगे। इस ट्रैनिंग के दौरान भी स्थानीय कारीगर को 4 सौ रूपये प्रतिदिन भत्ता मिलेगा। इस संयत्र से एक ओर रसोई गैस मिलगी, दूसरी ओर इससे बचा गोबर मीथेन रहित होगा जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याएं नहीं होगी।
कलेक्टर ने बताया कि पराली की समस्या के स्थायी समाधान के लिये जिले के सभी 6 ब्लाॅक में 11-11 किसानों को जैविक डिकम्पोजर ड्रम निःशुल्क वितरित किये गये है। इसमें जैविक अपषिष्ट, डंठल डाले जाते हैं जो 3 माह में खाद में बदल जाता है। यह खाद कीटनाशक का भी कार्य करती है। कलेक्टर ने बैठक में उपस्थिति कृषि वैज्ञानिकों और उन्नत किसानों को स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल सस्ते ड्रम या टंकी विकसित करने की बात कही जिससे प्रत्येक खेत के साथ ही प्रत्येक कार्यालय, स्कूल, घर में इसे रखा जा सके तथा उन्नत खाद प्राप्त करने के साथ ही पर्यावरण रक्षा भी हो सके।
उन्नत किसानों ने जिले में अमरूद के पौधों में परजीवी के बढ़ते प्रकोप का मामला उठाया। इस पर उद्यानिकी वैज्ञानिकों ने बताया कि मलीहाबाद से आयी पौध से यह परजीवी सवाई माधोपुर में आया है। इसका समाधान मेरीगोल्ड (हजारा) की खेती कर इसकी जड़ों को जलाकर खेत में बिखेरने से हो जाता है। इसके बाद अमरूद की कलम लगाने पर यह परजीवी प्रभावी नहीं रहता। कलेक्टर ने इसके लिये किसानों को जागरूक करने तथा स्थानीय नर्सरी संचालकों से पौध मलीहाबाद से लाने के बजाय यहीं विकसित करने के लिये समझाइश करने के निर्देश दिये।
जिला कलेक्टर ने आत्मा परियोजना की जिला स्तरीय शाषी परिषद की भी बैठक ली तथा किसानों के प्रशिक्षण, फील्ड विजिट, डेमोंस्ट्रेशन, उन्नत बीज, कीटनाशक मिनी किट वितरण, उन्नत किसान सम्मान कार्यक्रम, कृषि विज्ञान केन्द्र की गतिविधियों की समीक्षा की। उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मे बीमा क्लेम की राशि जल्द से जल्द किसान के बैंक खाते में डलवाने के प्रयास करने के निर्देश बीमा कम्पनी प्रतिनिधि को दिये।