रणथंभौर वन विभाग की मनमानी व स्वार्थगत नीति के चलते रणथंभौर पर्यटन उद्योग को काफी जिल्लत का सामना करना पड़ रहा है। जिला प्रमुख सुदामा मीना ने बताया की वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों द्वारा वीआईपी के नाम से अनाधिकृत रूप से बाघ परियोजना में प्रवेश दिलवाया जाता है। नाईट सफारी भी करवाई जाती है साथ ही इनकी मिलीभगत से बुकिंग किए गए पर्यटक के स्थान पर अन्य पर्यटकोें को जंगल में भेजा जाता है और किसी भी जोन में सफारी भी करवाई जाती है।
इस तरह के मामले कई बार विभिन्न समाचार पत्रों के माध्यम से भी आमजन के सामने उजागर हुए है। वीआईपी के नाम से निर्धारित वाहनों के अलावा मनमर्जी से जितने चाहे वाहन जंगल में प्रवेश करवाए जा रहे हैं, जिनका कोई अधिकृत ब्यौरा नहीं है। वन विभाग द्वारा की जा रही अनियमितताओं से विश्व पर्यटन में प्रसिद्ध रणथंभौर बाघ परियोजना से पर्यटकों का विश्वास उठता जा रहा है। इस तरह की अवांछनीय घटनाओं से स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार का संकट पैदा हो जाता है।
जिला प्रमुख ने बताया की रणथंभौर बाघ परियोजना के अलावा अन्य कोई आजीविका का साधन सवाई माधोपुर जिले में नहीं होने से यहां बेरोजगारीका आंकड़ा काफी बड़ा है। ऐसे में स्थानीय वन अधिकारी अपनी मनमानी व मर्जी से स्वार्थी नीतियों के द्वारा स्थानीय युवाओं को बेरोजगार करने का प्रयास कर रहे है। विभाग के आलाधिकारी लम्बे समय से यही जमे हुए है। जिनकी कार्यप्रणाली बाघ परियोजना के भविष्य के लिए काफी घातक सिद्ध हो रही है। जिला प्रमुख ने बताया कि काफी समय से कई बाघ यहां से लापता है, जिनका पता भी वन अधिकारियों को नहीं है। कई बाघ के घायल होने की जानकारी भी अधिकारियों को पर्यटकों द्वारा ही दी जाती है।
ऐसे में जब समस्त पर्यटन उद्योग स्थानीय अधिकारियों के निर्देशन में संचालित है तो इन सबकी जानकारी उन्हें क्यों नहीं हो पा रही है अथवा वे जान-बूझकर राज्य सरकार को गुमराह कर झूठी रिपोर्ट पेश करते आ रहे है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में स्थानीय विधायक द्वारा भी वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध निर्माण की पोल खोली थी, जिसको भी वनाधिकारियों ने अपने अधिकारों का दुरूपयोग कर मामले को पूरी तरह से दबा दिया गया था। वन विभाग में भिन्न-भिन्न स्थानों पर अवैध खनन भी करवाया जा रहा है, जो कि जंगल के लिए बहुत नुकसानदेह है। जिला प्रमुख सुदामा मीना ने जिले के वन एवं बाघ परियोजना के इन अधिकारियों की कार्यशैली पर शंका व्यक्त करते हुऐ इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व वन मंत्री से समय लेकर उनको पूरी जानकारी देने की बात कही है।