नई दिल्ली: मशहूर एस्ट्रोफिजिसिस्ट यानी खगोल भौतिक विज्ञानी डॉ. जयंत नार्लीकर का निधन हो गया है। इसकी जानकारी उनके करीबी रिश्तेदारों ने दी है। डॉ. नार्लीकर 87 साल के थे। उनके निजी सचिव ने बीबीसी मराठी को बताया कि 19 मई की रात नींद में ही उनका निधन हो गया। डॉ. नार्लीकर न केवल खगोल भौतिक विज्ञानी थे बल्कि वो एक साइंस कम्युनिकेटर भी थे।
इसका मतलब है कि वो जटिल वैज्ञानिक जानकारी को आसान भाषा में समझाते थे। ‘पद्म भूषण’ और ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित डॉ. जयंत नार्लीकर की विज्ञान कथाएं और विज्ञान से जुड़े लेखन को काफी पसंद किया जाता है। महाराष्ट्र सरकार ने डॉ. नार्लीकर को ‘महाराष्ट्र भूषण’ पुरस्कार से सम्मानित किया था।
कौन थे डॉ. जयंत नार्लीकर:
जयंत नार्लीकर का जन्म 19 जुलाई 1938 को हुआ था। उनके पिता विष्णु वासुदेव नार्लीकर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में गणित के प्रोफेसर थे, जबकि उनकी मां सुमति संस्कृत की विद्वान थीं। नार्लीकर ने अपनी शुरुआती शिक्षा वाराणसी में हासिल की और आगे की पढ़ाई के लिए कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी गए।
1972 में डॉ. नार्लीकर भारत लौट आए और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) में खगोल विज्ञान विभाग के प्रमुख का पद संभाला। बाद में, 1988 में उन्हें इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफ़िज़िक्स (आयुका) संस्थान का फाउंडर डायरेक्टर नियुक्त किया गया। जयंत नार्लीकर ‘होयल-नार्लीकर थ्योरी ऑफ ग्रैविटी’ के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं।