सवाई माधोपुर पंचायत समिति की साधारण सभा की बैठक का आयोजन आज प्रधान सूरज मल बैरवा की अध्यक्षता में किया गया। बैठक में सदस्यो ने विभिन्न प्रकार के मुद्दों पर चर्चा की। सदन में उस वक्त हंगामा हो गया जब वार्ड नम्बर 15 के सदस्य सिराज अहमद ने पुलिस के रवैये से खिन्न होकर अपना इस्तीफा दे दिया। बैठक में आए तहसीलदार को सदस्यों ने खुब खरी-खोटी सुनाई। तहसीलदार मनीराम अपना पल्ला झाड़ते नजर आए। सभा के बाद प्रधान सूरजमल बैरवा ने पंचायत समिति सदस्य के खिलाफ की गई पुलिस ज्यादती के विरुद्ध मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे को पत्र लिखकर मामले में पुलिस विभाग एवं खनिज विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाई करने की मांग की है।
प्रधान सूरजमल ने बताया कि आज सदन में वार्ड 15 के सदस्य सिराज अहमद ने बताया कि 28 जुलाई को मानटाउन थाना पुलिस सिराज को उनके घर से बजरी के भण्डारण का आरोप लगाते हुए थाने उठा लाई और केस दर्ज कर अन्दर बन्द करने की धमकी देकर मनमाने तरीके से खनिज विभाग को बुलाकर 41 हजार रुपये की रसीद कटवा दी। इतना ही नहीं सिराज से 6000 रुपये नकद भी ऐंठ लिए। पुलिस के डर से सदस्य सिराज ने 41 हजार रुपये जमा कर दिये। इतना ही नहीं प्रधान सूरज मल खुद थाने पहुंचे और पुलिस से बात करने की कोशिश की लेकिन पुलिस वालों ने उनकी भी नहीं सुनी। जब खिन्न होकर प्रधान ने विधायक दीया कुमारी को मामले की जानकारी दी। तो विधायक कार्यालय सवाई माधोपुर से विधायक का प्रतिनिधि भी थाने पहुंचा और उसकी भी एक नहीं सुनी गई।
कुल मिलाकर जनप्रतिनिधियों की कोई सुनवाई नहीं हो रही। प्रशासन और पुलिस की नजर में भाजपा के ही जनप्रतिनिधियों का यह हाल है तो आमजन को क्या हो रहा होगा? यह बताने की जरुरत नहीं है। हालांकि प्रधान सूरजमल बैरवा ने सदन द्वारा लिए गए सर्वसम्मति के प्रस्ताव के बाद मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर न्यायिक जांच कराकर दोसही अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवार्इ करने की मांग की है।
वहीं कार्यवाई के दौरान तहसीलदार से भी फोन पर बात की गई थी। जिस पर तहसीलदार ने कहा केस मेरे पास भेज दो, मैं तीन माह के लिए जेसी भेज देता हूं। पीड़ित भाजपा का ही पंचायत समिति सदस्य होने के कारण इतना खिन्न हो गया कि उसने सदन में इस्तीफा दे दिया। पीड़ित सिराज का कहना है कि पुलिस उसको बन्द करने की धमकी देकर शनिवार को थाने लाई थी। सिराज ने बताया कि शनिवार और रविवार की छूटटी के डर से उसने 41 हजार रुपये जमा करा दिए। उसका कहना है जबकि ना तो मैंने कोई बजरी को स्टॉक कर रखा है और ना ही मेरे खेत में बजरी थी। यहां तक की बजरी किसकी है और किसने रखवाया है यह भी उसे पता नहीं है। बजरी जिस स्थान पर पड़ी है वो पीडब्ल्यूडी की जमीन बताई जा रही है। और पुलिस ने उसे डरा-धमका कर पैसे जमा करा लिए।
वहीं प्रतिपक्ष के नेता कल्याण मल कंवरिया का कहना है कि भाजपा सरकार में जब भाजपा के ही जनप्रतिनिधियों को यह हाल है तो आमजन का क्या होगा? प्रशासन और पुलिस पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है। जनप्रतिनिधियों का कोई अंकुश नहीं है। जिस तरह से एक जनप्रतिनिधि को बेइज्जत किया गया वह अशोभनीय है। इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाई भी होनी चाहिए। सवाई माधोपुर जिले में पुलिस की शह पर ही बजरी का अवैध करोबार फलता फुलता है। पुलिस केवल पैसे की सगी है। जो बजरी का व्यापार कर रहे हैं उन पर कभी कार्यवाई नहीं होती। रोजाना सैंकड़ों ट्रक और ट्रैक्टर-ट्रालियां बजरी का परिगमन कर रही हैं। पब्लिक को गुमाराह करने के लिए एक-दो किसानों की ट्रैक्टर-ट्रालियां जब्त कर पुलिस अपनी पीठ थपथपा लेती है। आप बनास किनारे देखो हर खेत में बजरी पड़ी है। लेकिन पुलिस कोई कार्यवाई नहीं करती। पुलिस को चाहिए की जांच पडताल करे और दोषी पाए जाने पर उसके खिलाफ कार्यवाई करे। एक जनप्रतिनिधी के साथ इस तरह की बेइज्जती करना बहुत शर्मनाक बात है। ऐसा लग रहा है कि यह द्वेषतापूर्ण कार्यवाई है। जिले में पुलिस ओर प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं है। सभा में लिए गये प्रस्ताव के आधार पर प्रधान ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख दिया है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा के प्रधान के पत्र पर किस तरह की कार्यवाई की जाती है या फिर यू ही अंधेर नगरी चौपट राजा की कहानी जारी रहेगी।