प्रदेश भर में 22 जुलाई से खसरा रूबेला टीकाकरण अभियान शुरू होगा। जिसमें 9 माह से 15 वर्ष तक के सभी बच्चों को खसरा रूबेला का टीका लगाया जाएगा।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. तेजराम मीणा ने बताया कि अभियान के लिए जिले के सभी स्तर के अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रशिक्षण देकर सभी को बेसिक रणनीति, हेल्थ वर्कर्स के लिए आरआई माॅड्यूल, माईक्रो प्लानिंग, स्कूल माईक्रो प्लानिंग, रिकाॅर्डिंग, रिपोर्टिंग, माॅनिटरिंग, कोल्ड चैन व लाॅजिस्टिक मेनेजमेंट, एईएफआई मैनेजमेंट, इंजेक्शन सेफ्टी और वेस्ट मैनेजमेंट, कम्यूनिकेशन प्लान आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा चुकी है।
उन्होने बताया कि विभाग द्वारा सिर्फ मीजल्स का ही टीका लगाया जा रहा था पर अब एमआर कैम्पेन के अंतर्गत मीजल्स के साथ रूबेला का टीका भी लगाया जाएगा। टीका सरकारी स्कूल, निजी स्कूल, मदरसों, आंगनबाड़ियों, प्ले स्कूल, दिव्यांग, आर्मी, पुलिस स्कूलों व आउटरीच सत्रों में मोबाइल टीमों के माध्यम से ईंट भट्टों, कंस्ट्रक्शन साइट व घुमंतु परिवारों के बच्चों को टीका लगाया जाएगा।
डाॅ. मीना ने बताया कि इस अभियान में पोलियो अभियान की तरह घर घर जाकर डोज नहीं दी जाएगी। स्कूलों में बच्चों को उनके स्कूल के टाइम टेबल के समय पर ही टीके लगाए जाऐंगे। स्कूलों में 200 बच्चों के लिए एक टीम व आउटरीच स़त्रों के लिए 150 बच्चों पर एक टीम लगाई जाएगी।
इस टीके का डोज बच्चों के सीधे हाथ के उपरी हिस्से में लगाया जाएगा। और बच्चे के बाएं हाथ के अंगूठे पर इंडेलेबल मार्कर से निशान लगाया जाएगा। साथ ही बच्चों को टीकाकरण का कार्ड भी दिया जाएगा। टीकाकरण के पूर्व स्कूलों को उस क्षेत्र की एएनएम द्वारा सूचित किया जाएगा। साथ ही स्कूल प्रशासन व अध्यापकों द्वारा पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग में बच्चों के अभिभावकों को अभियान के बारे में जानकारी दी जा रही है व टीकाकरण को लेकर उनकी शंकाओं व भ्रांतियों को भी दूर किया जा रहा है। स्कूल में सफल संचालन के लिए स्कूल स्तर पर नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया गया है।
उन्होने बताया कि स्कूलों में टीकाकरण के समय तीन जोन में सत्र आयोजित होगा। टीकाकरण से पहले जोन में पूर्व प्रतीक्षा कक्ष में बच्चों को बैठाया जाएगा, दूसरे जोन टीकाकरण जोन में टीका लगाया जाएगा व तीसरे जोन निगरानी कक्ष में टीका लगाने के बाद बच्चों पर निगरानी रखी जाएगी। वैसे तो यह टीका पूर्णतः सुऱिक्षत है पर बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें कुछ देर निगरानी में रखा जाएगा।
उन्होने बताया कि खसरा एक जानलेवा और संक्रामक रोग है जो वायरस से फैलता है व बच्चों में असमय मृत्यु या विकलांगता का एक मुख्य कारण है। भारत देश में खसरा रोग के कारण प्रति वर्ष 50 हजार बच्चों की मृत्यु हो जाती है एवं गर्भवती महिलाओं में रूबेला रोग होने से जन्मजात रूबेला सिन्ड्रोम हो सकता है, जो गर्भ में पल रहे भ्रुण व नवजात शिशु के लिए बेहद गंभीर हो सकता है। इससे गर्भपाल, समय पूर्व प्रसव या मृत प्रसव की संभावनाएं बढ जाती है। इन सभी को रोकने के लिए सरकार द्वारा खसरा रूबेला टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है।
डाॅ. मीना ने बताया कि जिले में कुल 4 लाख 21 हजार 250 बच्चों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है। जिसके लिए कुल 296 सत्रों का आयोजन होगा जिसमें 270 ग्रामीण सत्र तथा 26 शहरी सत्र होंगे।