स्थानीय नगर परिषद की सभापति विमला शर्मा के भाग्य का फैसला 20 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव नोटिस पर मतदान के साथ होगा, कि वे अब सभापति रहेंगी या नहीं। चर्चा तो ये है कि अब उनका जाना तय है।
नगर परिषद के नेता प्रतिपक्ष पार्षद गिर्राज सिंह गूर्जर ने जानकारी करने पर बताया कि इस बार भी सभापति विमला शर्मा अपनी कुर्सी बचाने के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय की शरण में गयी थी, लेकिन इस बार उन्हे न्यायालय से भी कोई राहत नहीं मिली।
गिर्राज सिंह के अनुसार विमला शर्मा ने उच्च न्यायालय में प्रार्थना पत्र पेश कर जिला कलेक्टर द्वारा अविश्वास प्रस्ताव नोटिस पर 20 जुलाई को मतदान (बैठक बुलाने) पर रोक लगाने की अपील की थी, लेकिन मामले पर गुरूवार को सुनवाई नहीं हुई, तथा आगामी दो हफ्ते बाद की तारीख पेशी मुकर्रर कर दी। ऐसी स्थिति में अब 20 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होना लगभग तय है, और मतदान हुआ तो विमला शर्मा का सभापति पद से बेदखल होना भी तय है।
उल्लेखनीय है कि नगर परिषद में 45 पार्षद हैं उनमें से 11 कांग्रेस, 5 निर्दलीय तथा 29 भाजपा के हैं। उनमें से 22 भाजपा, 10 कांग्रेस और 5 निर्दलीय कुल 37 पार्षदों ने विमला शर्मा के खिलाफ 10 जुलाई को सामूहिक रूप से जिला कलेक्टर के समक्ष उपस्थित होकर अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था, और उसी दिन सभी 37 पार्षद अज्ञातवास में चले गये, हालांकि एक भाजपा पार्षद 10 को स्वयं उपस्थित नहीं हो पाई थी, जो अगले दिन कलेक्टर के समक्ष उपस्थित होकर अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में अपनी सहमति दे गयी।
जानकार सूत्रों का कहना है कि एक वर्ष पूर्व भी सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था, लेकिन उस समय विमला शर्मा को उच्च न्यायालय से राहत मिल गयी थी।
मिली जानकारी के अनुसार जिला कलेक्टर ने अविश्वास प्रस्ताव नोटिस पर बैठक व मतदान कराने की 20 जुलाई निर्धारित करने के साथ ही अति. जिला कलेक्टर को यह कार्यवाही सम्पन्न कराने के लिए अधिकृत कर दिया है। बोर्ड की बैठक 20 जुलाई को 11 बजे परिषद कार्यालय में बुलाई गयी है।