धनतेरस के साथ शुरू हुआ हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा वार्षिक त्यौहार सोमवार 16 नवम्बर को भाईदोज के साथ सम्पन्न हो गया। लम्बे कोरोना काल के विभिन्न प्रकार के प्रतिबन्धों को झेल रहे लोगों ने सादगी एवं कोरोना एडवायजरी का पालन करते हुए कई दिनों के बाद अपने परिजनों के साथ एकत्रित होकर दीपावली का त्यौहार मनाया। इस दौरान घरों एवं बाजारों को रोशनी से सजाया गया। लोगों ने चाईनीज लाईटों का उपयोग कम किया वहीं मिट्टी के दीपकों अधिक जलाये और घर को सजाया। धनतेरस पर जहाँ लोगों ने सोने चांदी के आभूषण खरीदे वहीं दीपावली पर पूजन सामग्री, बही खाते, कलम, के साथ ही कपड़ों की खरीददारी की।
इस वर्ष कोरोना महामारी को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा पटाखों की बिक्री एवं चलाने को 31 दिसम्बर तक के लिए प्रतिबन्धित कर दिया गया था इस कारण बाजारों में पटाखों की दुकाने नहीं दिखाई दी। इससे दुकानदारों को भारी नुकसान भी उठाना पड़ा।
हालांकि कई दिनों बाद बाजारों में रौनक दिखाई दी। फिर भी कुछ लोगों ने आमजन की मजबूरी का फायदा उठाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। दीपावली के दिन फूल माला वाले लोगों ने आम दिनों में 10 रूपये में बिकने वाली मालाओं को भी पचास पचास रूपये तक में बेचा। यही नहीं अन्य कई प्रकार के सजावट के सामान, बच्चों के खिलोने, रोशनी के सामानों के लिए भी एक दम से दाम बढ़े हुए नजर आये। यही नजारा खाद्य सामग्री में भी नजर आया।
हालांकि ऐसो दिखाई दिया कि लोगों ने कोरोना काल में कई दिनों के बाद कोई त्यौहार हर्षोल्लास के साथ बिना किसी भय के मनाया।