युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की विदुषी सुशिष्या साध्वीश्री पुण्यप्रभाजी के सानिध्य में अणुव्रत भवन आदर्शनगर में अणुव्रत उदबोधन सप्ताह के छठे दिन को अनुशासन दिवस के रूप में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष धर्मराज जैन ने की। साध्वीश्री के मंगल महामंत्र उच्चारण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
सुरेखा अरविंद जैन ने मंगलाचरण के रूप में अणुव्रत गीत की प्रस्तुति दी। साध्वीश्री दर्शनप्रभाजी, निर्मल प्रभाजी व डॉ. जिनयशाजी ने अनुशासन की प्रेरणा देने वाली सुमधुर गीतिका की प्रस्तुति दी। साध्वीश्री पुण्यप्रभाजी ने इस अवसर पर अपने प्रेरक उदबोधन में कहा कि अनुशासन जीवन का मूल मंत्र है।
इसके अभाव में सर्वांगीण विकास की कल्पना निरर्थक है। अनुशासित व्यक्ति अपनी मंजिल को सहजता से प्राप्त कर लेता है। भगवान महावीर ने स्वयं पर अनुशासन को श्रेष्ठ बतलाया है। शरीर, वाणी, मन, इंद्रिय और संवेगो पर नियंत्रण से अनुशासन सुगम बन जाता है।
शिक्षानगरी कोटा में आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए आत्मनियंत्रण प्रशिक्षण की आवश्यकता को स्पष्ट करते हुए अनुशासन की उद्देश्यपूर्ण अभिव्यक्ति दी गई। अणुव्रत समिति के अध्यक्ष घनश्याम जैन व पूर्व अध्यक्ष रतन लाल जैन मंत्री ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व वक्ता धर्मराज जैन का परंपरागत तरीके से अभिनंदन किया। विशिष्ट लोक अभियोजक अनिल जैन एडवोकेट ने भी इस अवसर पर भावों की अभिव्यक्ति दी।