संभागीय आयुक्त सुबीर कुमार की अध्यक्षता में जनगणना निदेशालय की ओर से भारत की जनगणना 2021 की तैयारियों के संबंध में संभागीय आयुक्त कार्यालय के सभागार में संभाग के अधिकारियों की बैठक आयोजित की गयी।
इस बैठक में भरतपुर संभाग के करौली, धौलपुर, सवाई माधोपुर तथा भरतपुर जिले के अधिकारी उपस्थित रहे जिनमें अतिरिक्त जिला कलक्टर, आयुक्त नगर निगम/नगर परिषद, मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद, उपनिदेशक स्थानीय निकाय, उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी/संयुक्त निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उप/सहायक निदेशक, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग, सहायक/उपनिदेशक सूचना एवं जन संपर्क विभाग के अधिकारियों ने उक्त बैठक में भाग लिया।
बैठक को संबोधित करते हुए संभागीय आयुक्त ने अधिकारियों से 2021 की जनगणना को तथ्यपरक बनाने के लिए सभी तरह की तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिये।
इस अवसर पर जनगणना निदेशालय के निदेशक सलविन्दर सिंह सोहता ने बैठक के चार ऐजेन्डा बिन्दुओं पर मुख्य रूप से चर्चा की जिनमें पहला जनगणना 2021 की तैयारियों के अन्तर्गत सभी आवश्यक कार्यवाही (31 दिसम्बर 2009 से अब तक हुए क्षेत्राधिकार परिवर्तन के अनुसार ग्राम सूची का अद्यतन, नई बनी पालिकाओं/तहसीलों के डाटाबेस का अद्यतन इत्यादि) दूसरा मुख्य रजिस्ट्रार (जन्म तथा मृत्यु) तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के जन्म मृत्यु के आंकडों में अन्तर को न्यूनतम करना तथा जन्म-मृत्यु का शत-प्रतिशत् पंजीकरण सुनिश्चित करना तीसरा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर की फील्ड में अद्यतित बुकलेट के डाटा डिजिटाइजेशन का कार्य तथा चौथा एस.आर.एस. की चयनित इकाईयों में हो रहे सर्वेक्षण तथा जनगणना 2021 के बारे में महिला एवं बाल विकास विभाग की आंगनबाडी कार्यकर्ता व आशा सहयोगिनियों के माध्यम से स्थानीय क्षेत्र के लोगों को जागृत कर सही सूचना उपलब्ध कराने हेतु प्रेरित करना रहे।
उक्त ऐजेन्डा बिन्दुओं पर चर्चा करते हुए जनगणना निदेशक ने बताया कि भारत में समय-समय पर यथा संशोधित अधिनियम 1948 तथा जनगणना नियमावली 1990 के कानूनी प्रावधानों के अन्तर्गत प्रत्येक 10 वर्ष में जनसंख्या की गणना का आयोजना किया जाता है। भारत की 2021 में की जाने वाली आगामी दशकीय जनगणना 1872 से इस श्रंखला की 16वीं और स्वतंत्रता प्राप्ती से 8वीं जनगणना होगी। उन्होंने बताया कि यह राष्ट्रीय महत्व का एक वृहद कार्य है जिसमें प्रत्येक चरण (मकान सूचीकरण एवं मकान गणना तथा मुख्य गणना दोनों ) को अत्यधिक सावधानी के साथ समयबद्ध पूरा किया जाना है। उन्होंने जनगणना का महत्व बताते हुए कहा कि भारत एक कल्याणकारी राज्य है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से आम आदमी के हित के लिए पंचवर्षीय योजनाएं एवं विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गयीं इन सबके लिए बुनियादी स्तर के आंकडों की उपलब्धता, अपेक्षित जनगणना द्वारा यह आंकडे उपलब्ध कराये जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे कई क्षेत्र हैं यथा सामाजिक सुरक्षा के जिनके लिए जनगणना आंकडे उपलब्ध कराते हैं जो कि राष्ट्र निर्माण के व्यापक कार्य का हिस्सा है। जनगणना सबसे बड़ा एवं सूचना का केवल मात्र स्त्रोत है जिसके आधार पर राष्ट्र के व्यक्तियों का विवरण, साईज, ग्रोथ ट्रेंड तथा भौगोलिक एवं प्रशासनिक वितरण का विवरण मिलता है। जनगणना गांव, नगर, वार्ड का प्राथमिक डाटा स्त्रोत है। विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं परियोजनाओं के लिए सूचनाओं की उपलब्धता जनगणना के द्वारा ही सम्भव है। उन्होंने बताया कि निर्वाचन क्षेत्रों का सीमांकन संयुक्त राष्ट्र संघ के दिशा-निर्देशों की अनुपालना तथा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान एवं ऐकेडमिक उद्देश्यों में जनगणना उपयोगी है।