अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा संयुक्त राष्ट्र द्वारा कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण को पैनडेमिक घोषित करने से उत्पन्न स्थिति के परिपेक्ष्य में सामान्य चिकित्सा सेवाओं में प्रभाव पड़ा है।
जिला कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया ने बताया कि इस संबंध में गर्भवती महिलाओं को कई जगह परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रसव के लिए महिलाएं राजकीय व निजी चिकित्सा संस्थाओं पर जाती है। परन्तु यह देखने में आया है कि कुछ निजी चिकित्सालय इस परिस्थिति का मानवता से परे जाकर आर्थिक लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं। प्रसूता के परिजनों से पीपीई किट एवं स्टॉफ के नाम पर अनावश्यक राशि वसूलने के प्रयास कर रहे है। सामान्य प्रसव को भी अति आवश्यक बताकर सिजेरियन प्रसव कराने की शिकायत भी प्राप्त हो रही है। कलेक्टर ने बताया कि यह पूर्णतया अनुचित है जबकि ए.बी.-एम.जी.आर.एस.बी.वाई. के अन्तर्गत निजी चिकित्सालय एनएफएसए एवं एसईसीसी श्रेणी के लाभार्थियों को निःशुल्क चिकित्सा सेवायें प्रदान करने के लिए अनुबन्ध के आधार पर प्रतिबद्ध है। साथ ही अन्य लोगों से तय राशि अनुसार ही निर्धारित शुल्क लिया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सवाई माधोपुर को निर्देशित किया गया कि वे समस्त निजी चिकित्सालयों को पाबन्द करावें। साथ ही रेन्डम बेसिस पर इन चिकित्सालयों में भर्ती प्रसूताओं एवं अन्य महिलाओं से वार्ता कर अनावश्यक ली गई राशि के बारे में ज्ञात करें। साथ ही इस अवधि में अप्रत्याशित सिजेरियन प्रसव संख्या अधिक पाई जाती है, तो तत्काल पाबन्द करें। जिले में सभी निजी चिकित्सालयों के परिसर में जिला स्तरीय कन्ट्रोल रूम के फोन नम्बर भी चस्पा कराने के निर्देश दिए है तथा इस प्रकार के प्रकरणों की कहीं भी शिकायत आती है तो प्रभावी कार्यवाही करने के लिए निर्देशित किया हैं।