Sunday , 7 July 2024
Breaking News

ख्वाबों की कामयाबी और कोशिशों की नाकामी से शिक्षा नगरी कोटा में बुझ रहें है कई घरों के चिराग – किरोड़ी लाल मीना

सवाई मधोपुर/कोटा: राजस्थान के कोटा शहर को पूरे देश में शिक्षा नगरी के नाम से जाना जाता है। देश के कोने-कोने से स्टूडेंट्स यहां अपना करियर बनाने के लिए आते हैं। बीते कुछ सालों में लाखों छात्र-छात्राओं ने यहीं से कोचिंग लेकर अपने सपनों को साकार किया है और अपने करियर में ऊंची उड़ान भरी है। लेकिन पिछले कई दिनों से बार-बार कोटा से आ रही बच्चों की सु*साइड की खबर ने सभी को हिला कर रख दिया है।

 

 

एक के बाद एक ऐसे कई बच्चों की मौ*त ने प्रशासन व सरकार को सकते में ला दिया है। पढ़ाई-लिखाई से लेकर ‘कुछ बड़ा’ कर पाने के बोझ और समूची व्यवस्था से त्रासद की स्थितियां पैदा हो रही हैं। जिसमें किशोरवय बच्चों के सामने जिंदगी और मौ*त में किसी एक को चुनने का विकल्प पैदा हो रहा है। इस वर्ष में कई आ*त्मह*त्या की घटना घटित हुई है। जब इस तरह की कोई घटना व्यापक चर्चा का विषय बन जाती है, सब तरफ चिंता जताई जाने लगती है, तब इसके हल के लिए विभिन्न स्तरों पर उपाय करने की बातें की जाती हैं।

 

Due to the success of dreams and failure of efforts, the lamps of many houses in the education city of Kota are getting extinguished - Kirodi Lal Meena

 

 

 

मगर शायद इस समस्या की जड़ों की पहचान कर उसके मुताबिक ठोस रास्ते निकालने की पहल नहीं हो पा रही है। जिस किशोरावस्था में बच्चे कई तरह की मानसिक-शारीरिक उथल-पुथल से गुजरते रहते हैं, उसमें उनके सिर पर पढ़ाई-लिखाई और भविष्य की चिंता को एक बोझ के रूप में कौन डाल देता है। इसके बाद उस चिंता को भुनाने के लिए कोचिंग संस्थानों ने जैसा सख्त तंत्र खड़ा किया है और उसमें जिस तरह बहुत सारे बच्चे पिस और टूट रहे हैं, उस पर कोई लगाम क्यों नहीं है ?

 

 

 

कोटा में एक छात्र की खु*दकुशी की घटना से फिर यही पता चलता है कि पिछले कई वर्षों से लगातार इस समस्या के गहराते जाने के बावजूद इसमें सुधार के लिए कोई गंभीरता नहीं दिख रही है। अब सवाल ये है कि पढ़ाई करते-करते बच्चे आखिर डिप्रेशन में कैसे चले जाते हैं? वो क्या बात है जिसे वे किसी को नहीं बता पाते ? क्यों कोटा में बच्चों के सु*साइड का आंकड़ा हर साल बढ़ता जा रहा है? ऐसी आ*त्मह*त्याओं का कारण एक ही होता है कि किसी बच्चे ने परीक्षा और तैयारी के सामने खुद को लाचार पाया और उसे कोई अन्य रास्ता नहीं सूझा।

 

 

 

कोचिंग के वीकली टेस्ट का रिजल्ट बढ़ाता है सबसे ज्यादा प्रेशर:

एक सर्वे में बच्चों ने बताया कि कोचिंग में एडमिशन के साथ ही कुछ दिन अच्छा नहीं लगता। लेकिन जब धीरे-धीरे पढ़ाई में मन लगने लगता है तो प्रेशर भी बढ़ने लगता है। रविवार को होने वाले टेस्ट बता देते हैं कि आप किसी पॉजिशन पर हो, और ये बात सीधे ऐप के जरिए पेरेंट्स तक भी पहुंचती है। लाखों बच्चों के पेरेंट्स हर हफ्ते ये जान लेते हैं कि उनका बच्चा आगे बढ़ पाएगा या नहीं, और यही से पढ़ाई का हाई प्रेशर शुरू हो जाता है।

 

 

कम नंबर आते ही कहा जाता है, क्या कर रहा है, पढ़ाई क्यों नहीं करता, पीछे कैसे होता जा रहा है। उसके बाद जब दूसरा रविवार आता है तो पेपर फिर दिया जाता है और फिर यदि नंबर कम आए तो प्रेशर बढ़ता चला जाता है और बार-बार यहीं स्थिति रहती है, तो स्टूडेंट भटक जाता है, उसे मोटिवेशन नहीं मिलता और वह सु*साइड कर लेता है।

 

 

बच्चों में पूरा होता देखना चाहते है अपना सपना: कई बार अभिभावक जो खुद नहीं कर पाए, वह सपना अपने बच्चों में पूरा होता देखना चाहते हैं, हालांकि ऐसे सपने संजोने से पहले वह बच्चे की क्षमता देखना भूल जाते हैं। हर बच्चे में की क्षमता और योग्यता अलग-अलग होती है। इसलिए बच्चे का मूल्यांकन भी उसी के अनुरूप किया जाना चाहिए।

 

 

जो बच्चे खेल में अच्छा कर सकते हैं, उनसे दूसरी अपेक्षाएं नहीं की जा सकतीं, वही कला और अन्य क्षेत्रों में रुचि रखने वाले बच्चों से डॉक्टर, इंजीनियर या आईएएस बनने की अपेक्षा करना या दबाव डालना अनुचित है। अकसर अभिभावक बच्चों की क्षमताएं और उसकी रुचि का क्षेत्र नहीं भांप पाते है। अभिभावकों को लगता है कि उनका बच्चा कोई गलत फैसला नहीं करेगा वह चाहे जितना दबाव डालें। यही सोच फिर बच्चों का मौ*त का कारण बन जाती है।

 

बच्चों की रूचि अनुरूप ही करियर निमार्ण का अवसर प्रदान करें:

अभिभावकों को चाहिए कि वह बचपन से ही अपने बच्चों की रुचि को पहचानें और उसके अनुरूप ही उसके करियर निर्माण में सहयोग करें। माता-पिता को बच्चों से ही पूछना चाहिए कि वह क्या करना चाहते हैं और भविष्य में उनका किसी ओर रुझान है। बच्चों के साथ हमेशा माता-पिता को दोस्ताना व्यवहार रखना चाहिए, जिससे वह कभी दबाव में कोई गलत कदम न उठाएं।

 

 

राज्य सरकार को ठोस नीति बनानी चाहिए: सरकारों को इससे संबंधित कोई स्पष्ट और ठोस नीति बनाने की जरूरत है। वर्तमान में सरकार के समक्ष यह चुनौती बना हुआ है। पिछले कई वर्षों से लगातार कोटा में ऐसी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं की खु*दकुशी अब एक व्यापक चिंता का विषय बन चुकी है।

 

(लेख : किरोड़ी लाल मीना / Kirodi Lal Meena)

About Vikalp Times Desk

Check Also

Additional District Collector held a meeting on pre-monsoon preparations in sawai madhopur

अतिरिक्त जिला कलक्टर ने मानसून पूर्व तैयारियों की ली बैठक

सवाई माधोपुर: मौसम विभाग के अनुसार जिले में भारी बरसात होने की सम्भावना के मध्यनजर …

Precautions taken to prevent electrical accidents during monsoon Sawai Madhopur Kota News

मानसून में बिजली जनित हादसे से बचाव हेतु बरते सावधानियां

(कोटा/सवाई माधोपुर): मानसून के दौरान बिजली जनित हादसों से बचाव के लिए विद्युत विभाग द्वारा …

Bhadoti Mathura Highway Trailer Truck Scorpio Sawai Madhopur News 05 july 2024

भाड़ोती – मथुरा हाईवे पर ट्रेलर और स्कॉर्पियो में हुई जबरदस्त भिड़ंत, एक की हुई मौ*त 

भाड़ोती – मथुरा हाईवे पर ट्रेलर और स्कॉर्पियो में हुई जबरदस्त भिड़ंत, एक की हुई …

Plantation campaign launched in Sawai Madhopur PG College

सवाई माधोपुर पीजी कॉलेज में पौधरोपण अभियान का हुआ शुभारंभ

सवाई माधोपुर: शहीद कैप्टन रिपुदमन सिंह राजकीय महाविद्यालय में एनएसएस की चारों इकाइयों एवं स्काउट …

Sawai Madhopur Collector IAS Khushal Yadav inspected 132 KV grid sub station in chauth ka Barwada

कलक्टर ने चौथ का बरवाड़ा के 132 केवी ग्रिड सब स्टेशन का किया निरीक्षण

सवाई माधोपुर: जिला कलक्टर डॉ. खुशाल यादव ने गुरूवार को चौथ का बरवाड़ा के सहायक …

error: Content is protected !! Contact Vikalp Times Team !