सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने वर्चुअल रूप में आयोजित तीन दिवसीय 74वें वार्षिक निरकारी सन्त समागम के प्रथम दिवस के सत्संग समारोह में अपने पावन आशीर्वाद प्रदान करते हुए व्यक्त कहा की किसी काल्पनिक बात पर तब तक विश्वास नहीं होता जब तक हम साक्षात यह चीज नहीं देखते। उसी तरह से प्रभु परमात्मा ईश्वर पर भी हमारा विश्वास तभी परिपक्व हो सकता है जब ब्रह्मज्ञान द्वारा उसे जाना जाता है। ईश्वर पर दृढ़ विश्वास रखते हुए जब मनुष्य अपनी जीवन यात्रा भक्ति भाव से युक्त होकर व्यतीत करता है तो वह आनंददायक बन जाती है।
सत्गुरू माता जी ने प्रतिपादन किया कि एक तरफ विश्वास है तो दूसरी तरफ अंधविश्वास की बात भी सामने आती है। अंधविश्वास से भ्रम भ्रांतियां उत्पन्न होती हैं, डर पैदा होता है और मन में अहंकार भी प्रवेश करता है जिससे मन में बुरे ख्याल आते हैं और कलह-क्लेषों का सामना करना पड़ता है। ब्रह्मांड की हर एक वस्तु विश्वास पर ही टिकी है पर विश्वास ऐसा न हो कि वास्तविक रूप में कुछ और हो और मन में हम कल्पना कोई दूसरी कर लें।
आंख बंद करके अथवा असलीयत से आंख चुराकर कुछ और करते हैं तो फिर हम उन अंधविश्वासों की ओर बढ़ जाते हैं। किसी वस्तु की वास्तविकता और उसका उद्देश्य न जानते हुए, तर्कसंगत न होते हुए भी उसे करते चले जाना ही अंध विश्वास की जड़ है जिससे नकारात्मक भाव मन पर हावी हो जाते हैं।
सत्गुरु माता जी ने बताया की आसपास का वातावरण व्यक्ति अथवा किसी वस्तु से अपने आपको दूर करने का नाम भक्ति नहीं भक्ति हमें जीवन की वास्तविकता से भागना नहीं सिखाती अपितु उसी में रहते हुए हर पल, हर स्वास में परमात्मा का एहसास करते हुए आनंदित रहने का नाम भक्ति है। भक्ति किसी नकल का नाम नहीं, यह हर एक की व्यक्तिगत यात्रा है।
हर दिन ईश्वर के साथ जुड़े रहकर अपनी भक्ति को प्रबल करना है। इच्छाएं मन में होनी लाजमी है पर उनकी पुर्ति न होने से उदास नहीं होना चाहिए। अनासक्त भाव से अपना विश्वास पक्का रखने में ही बेहतरी है। इसी से वास्तविक रूप में इन्सान आनंद की अनुभूति प्राप्त कर सकता है।
सेवादल रैली
समागम के दूसरे दिन का शुभारम्भ एक रंगारंग सेवादल रैली द्वारा हुआ जिसमें देश एवं दूर-देशों से आये हुए सेवादल के भाई-बहनों ने भाग लिया। इस सेवादल रैली में विभिन्न खेल, शारीरिक व्यायाम शारीरिक करतब फिजिकल फॉर्मेशन्स, माइम एक्ट के अतिरिक्त मिशन की सिखलाईयों पर आधारित सेवा की प्रेरणा देने वाले गीत एवं लघुनाटिकायें मर्यादित रूप में प्रस्तुत की गई।
सेवादल रैली को अपने आशीर्वाद प्रदान करते हुए सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि तन-मन को स्वस्थ रखकर समर्पित भाव से सेवा करना हर भक्त के लिए जरूरी है, भले वह सेवादल की वर्दी पहनकर करता हो अथवा बिना वर्दी पहने हर एक में परमात्मा को देखकर हम घर में समाज में मानवता के लिए मन में सेवा का भाव रखते हुए जो भी कार्य करते हैं वह एक सेवा का ही रूप है। सेवा करते वक्त विवेक और चेतनता की भी निरंतर आवश्यकता होती है।