कृषक उत्पादक संगठनों का गठन करें कृषक – योगेश कुमार शर्मा
उद्यान विभाग द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अन्तर्गत संरक्षित खेती का महत्व आवश्यकता एवं चुनौतियां विषय पर दो दिवसीय जिला स्तरीय कृषक सेमीनार का आयोजन का समापन शुक्रवार को भरतपुर सम्भाग के संयुक्त निदेशक योगेश कुमार शर्मा के मुख्य आतिथ्य में फूल उत्कृष्टता केन्द्र, सवाई माधोपुर में हुआ। संयुक्त निदेशक ने कहा कि जिले के किसान अपने हितो को ध्यान में रखते हुए अपनी कृषि संबंधी तथा अन्य आवश्यकता पूरा करने के लिए कृषक उत्पादक संगठनों का गठन (एफपीओ) करें। उन्होंने बताया कि एफपीओ कृषि आधारित गतिविधियों के लिए किसानों को समूहों द्वारा बनाया जाता है। यह पंजीकृत एवं विधिक निकाय होता है। एफपीओ में किसान उत्पादक ही शेयर धारक होता है।
एफपीओ, फसलोत्पाद, कृषि उपज तथा कृषि उत्पादों से संबंधित व्यावसायिक गतिविधियों को संचालित करता है। उन्होंने कहा कि मूल रूप से यह उत्पाद सदस्यों के लाभ के लिए कार्य करता है। एफपीओ का स्वामित्व, इसको बनाने वाले सदस्यों में ही निहित होता है। एफपीओ, किसानों का, किसानों द्वारा किसानों के लिए बनाया गया संगठन है। उन्होंने कहा कि जिले के किसानों की जोत छोटी-छोटी होने के कारण उत्पादन सीमित मात्रा में होता है। उन्होंने बताया कि कृषि उपज का सही मूल्य नहीं मिलना, कृषि आदान जैसे खाद बीज तथा कीटनाशक दवाइयों का समय पर नहीं मिलना, उचित दामों पर नहीं मिलना, सही गुणवत्ता का नहीं मिलना तथा विभिन्न संस्थाओं द्वारा कृषि उपज का मूल्य संवर्धन करने के बाद कई गुना ज्यादा दामों पर बेचना वर्तमान में किसानों की तीन मूलभूत समस्याएं हैं जिसका हल एफपीओ है। उन्होंने बताया कि एफपीओ अपने सदस्यों को उच्च गुणवत्ता के कृषि आदान जैसे खाद बीज तथा कीटनाशक दवाइयां उपलब्ध कराने, सस्ते दामों पर उपलब्ध कराने तथा समय पर उपलब्ध कराने के लिए आदान लाइसेंस प्राप्त करेंगे। कृषि उपज के उचित मूल्य दिलवाने के लिए खुली मंडी लाइसेंस प्राप्त करेंगे ताकि एफपीओ के किसान सदस्यों की उपज को उचित मूल्य पर खरीदा जा सके।
एफपीओ के सुचारू रूप से संचालित होने के बाद कृषि आधारित उद्योग धंधे, जैसे आटा बनाने की फैक्ट्री, सरसों से तेल निकालने की फैक्ट्री, दाल बनाने की फैक्ट्री, दूध से मावा, पनीर, दूध का पाउडर बनाने की फैक्ट्री, मसाले तैयार करने की फैक्ट्री, पशु आहार बनाने की फैक्ट्री, अचार, जैम जैली, सॉस, मुरब्बा, शर्बत, चिप्स, पापड़ इत्यादि बनाने की फैक्ट्री, धान से चावल बनाने की फैक्ट्री का लाइसेंस प्राप्त करेंगे और किसानों की उपज का मूल्य संवर्धन कर अधिक लाभकारी मूल्य किसानों को दिलवाने की दिशा में सहयोग करेंगे। उन्होंने बताया कि किसान नियमानुसार एफपीओं के लिए निदेशक मण्डल का गठन करें। विधिक दस्तावेज तैयार करें। कम्पनी, ट्रस्ट या सहकारिता के अधिनियम के तहत एफपीओं का पंजीयन कराए, स्थानीय आवश्यकताओं का ध्यान में रखते हुए व्यावसायिक कुशलता रखने वाले योग्य मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा अन्य प्रमुख स्टाफ की नियुक्ति करना, एफपीओ का पंयजीकरण कराने के बाद पंजीयन प्रमाण पत्र प्राप्त करना, पंजीयन होने के बाद आमसभा का आयोजन और औपचारिक स्थापना कराए।
उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा वित्तीय सहायता के रूप में चिन्हित एफपीओ को 6 लाख रूपए प्रति वर्ष की दर से 3 वर्ष के लिए कुल 18 लाख रूपए प्रबंधन खर्च के लिए दिए जाने का प्रावधान है। एफपीओ के गठन के लिए चिन्हित सीबीबीओ संस्था को 5 लाख रूपए प्रवि वर्ष की दर से पांच वर्ष के लिए कुल 25 लाख रूपए दिए जाने का प्रावधान है। एफपीओ द्वारा जोड़े गए सदस्यों की संख्या के आधार पर 2 हजार रूपए प्रति सदस्य की दर से अधिकतम 15 लाख दिए जाने का प्रावधान है। एफपीओ द्वारा व्यवसायिक गतिविधियों के संचालन के लिए 2 करोड़ रूपए तक बैंक ऋण की गारंटी का प्रावधान है।
विशेषज्ञ कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक सुरेश बैरवा, बैंक ऑफ बड़ौदा के वरिष्ठ अधिकारी एवं संयुक्त निदेशक खण्ड भरतपुर योगेश कुमार शर्मा द्वारा एफपीओ एवं उद्यानिकी में संरक्षित खेती वरदान पर उपस्थित कृषकों से चर्चा की तथा उपस्थित कृषकों को जानकारी प्रदान की। उन्होंने कृषकों को संरक्षित खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया। जिला स्तरीय कृषक सेमीनार के समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए संयुकत निदेशक ने कृषकों को योजनाओं का अधिकतम लाभ लेने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर उप निदेशक चन्द्रप्रकाश बड़ाया, सहायक निदेशक ब्रजेश कुमार मीणा, कृषि अनुसंधान अधिकारी डॉ. सुमन मीना सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।