पिछले दिनों भारत बंद के दौरान हुई हिंसक घटनाओं में मारे गए एवं घायल हुए लोगों के परिजनों को सरकार की ओर से सहायता राशि सहित हिंसक घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों को गिरफ्तर करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर एसडीपीआई की ओर से राष्ट्रपति के नाम उपजिला कलेक्टर लक्ष्मीकांत कटारा को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन के जरिए उन्होंने बताया कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में बीजेपी सरकार के गठन के बाद से दलितों को असफलता की ओर धकेला जा रहा है और वे अपना विरोध दर्ज करने के लिए 2 अप्रैल को भारत बंद का आह्वान दे चुके थे। लेकिन इस भारत बन्द में शामिल कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने वालों पर हिंसा, सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पंहुचाया गया व पुलिस द्वारा इन तत्वों को खुला समर्थन देखने को मिला। वर्तमान में एससी, एसटी, मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ-साथ समाज के कमजोर वर्गों के सदस्यों के खिलाफ लंबे समय से अन्याय और भेदभाव के चलते जातिवाद को बढावा दिया जा रहा है।
एसडीपीआई कमजोर वर्गों के साथ विशेष रूप से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से संबंधित मामलों में मजबूती से खड़ी रही है। हरियाणा की घटना, हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के रोहित वेमूला मामला, पुणे आजादी कुच, चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ रासुका सहित कई मामलों में मजबूती से दलितों का पक्ष रखा है। एसडीपीआई 2 अप्रैल 2018 को शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगो को पुलिस द्वारा डर का माहौल बनाकर अनुसूचित जातियों के निर्दोष लोगों को गिरफ्तार करने की कडे शब्दों में निन्दा करती है।
ज्ञापन के माध्यम से एसडीपीआई मांग करती है कि शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे दलितों पर हमला कर हिंसा करने वालें लोगों का पर्दाफाश करने के लिए एक उच्च स्तर की कमेटी गठित कर न्यायिक जांच कर दोषियों पर कार्यवाही की जाए। 2 अप्रैल को हुए भारत बन्द में पुलिस व प्रशासन द्वारा निर्दोष अनुसूचित जातियों के लोगों पर की गई कार्यवाही की न्यायिक जांच की जाए। लोकतांत्रिक अधिकारों के तहत 02 अप्रैल को विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों में कुछ निर्दोष लोग मारे गऐ व अन्य गंभीर घायल हुए है उनको सरकार की ओर से उचित मुआवजा दिया जाए।