नेशनल हाईवे पर पत्रकारों को भी देना होगा टोल – गडकरी
जनता की सेवा का दावा करने वाले जनप्रतिनिधि और नेताओं को जब सत्ता मिलती है तो वे मद में चूर होकर अहंकारपूर्ण व्यवहार करते हैं और बयान देते हैं। ऐसा ही मामला गत दिवस दौसा व बूंदी जिले के लाखेरी क्षेत्र में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस हाईवे के निर्माण कार्य का निरीक्षण करने आए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों के साथ हुआ। लाखेरी के निकट कार्यक्रम स्थल पर प्रेस क्लब कोटा की ओर से अध्यक्ष गजेंद्र व्यास ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से अनुरोध किया कि राज्य के पत्रकारों को नेशनल हाईवे पर टोल से मुक्त किया जाए और इस मामले में ज्ञापन लेने का अनुरोध किया। लेकिन सत्तामद में चूर केंद्रीय मंत्री ने स्वयं को सच्चा और स्पष्टवादी नेता बताते हुए कहां कि मैं किसी भी सूरत में पत्रकारों के लिए नेशनल हाईवे को टोल मुक्त नहीं करूंगा। मंत्री का मीडिया के साथ किया गया व्यवहार सामंतवादी नजर आया। उन्होंने कहा कि हर बात के पैसे लगते हैं, यह कार्यक्रम हो रहा है, इसके भी पैसे खर्च करने पड़ते हैं, पैसा कहां से आएगा, मैं खुद कर्जा लेकर विकास कार्य करवा रहा हूं, मुझे कर्जा भी चुकाना होगा।
उन्होंने कहा कि यदि सड़क पर चलना है और सुविधाएं लेनी हैं तो टोल देना ही होगा। सुविधाओं के लिए भुगतान करना ही होगा। जब प्रेस क्लब के सह सचिव गिरीश गुप्ता ने मंत्री के तर्कों का जवाब देते हुए कहा कि आपने मंत्रियों, सांसदों विधायकों को टोल मुक्त किया हुआ है, फिर पत्रकार क्यो नहीं, तो उन्होंने कहा कि जो पॉलिसी में है, वही रहेगा, कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कल से स्वतंत्रता सेनानी, आर्मी, दिव्यांग, महिलाएं आदि कैटेगरी सहित अन्य लोग भी टोल मुक्ति की मांग करेंगे। ऐसे में पत्रकारों को किसी भी हालात में टोल मुक्त नहीं करूंगा। इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद आईएफडब्लयूजे सवाई माधोपुर की टीम ने भी कोटा टीम की मांग को पत्रकारों हित मे बताते हुए मंत्री गडकरी के बयान ओर व्यवहार की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए ये बात प्रधानमंत्री तक पहुंचने की बात की जिस पर सभी मीडिया के लोगों ने सहमति जताई।
इसी प्रकार की घटना दौसा में भी हुई। वँहा भी पत्रकारों ने मंत्री के बयान ओर पत्रकारों की उपेक्षा पर गहरी नाराजगी जताते हुए मंत्री के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उल्लेखनीय है कि मंत्री के कार्यक्रम के लिए दौसा में दौसा जिले के तथा लाखेरी में कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर के पत्रकारों को आमंत्रित किया गया था। जहां पत्रकारों द्वारा नेताओं और सत्ताधारियों के प्रचार के लिए पत्रकारों को साधन माना गया, लेकिन मंत्री गडकरी ने उनकी एक मामूली मांग जिससे सरकार पर कोई बहुत बड़ा वित्तीय भार नहीं आ रहा है, पत्रकारों को अपमानित करते हुए सामंती तरीके से प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया। जबकि पत्रकार 24 घंटे बिना किसी बड़े लाभ के इन्ही सत्ता धारी नेताओ के लिए कार्य करते हैं। केंद्रीय मंत्री के सामंतीपूर्ण व्यवहार और बयान की प्रेस क्लब कोटा, आईएफडब्ल्यूजे संगठन सवाई माधोपुर ने निंदा की है और कहा है कि लोकतंत्र में वर्तमान राजाओं अर्थात मंत्री, विधायक, सांसदों को टोल मुक्त किया जाता है, क्योंकि ये मोटा वेतन, भत्ते और सुविधाएं लेते हुए भी गरीब होते हैं। वहीं 24 घंटे जनहित के कार्यों में जुटे पत्रकार टोल मुक्त नहीं हो सकते, क्योंकि इससे भारत सरकार का खजाना खत्म हो जाएगा, बजट घाटा बढ़ जाएगा। यदि सरकार पत्रकारों को कुछ नहीं दे सकती, टोल माफ नहीं कर सकती तो पत्रकारों से डबल टोल वसूली कर लें ताकि उनका खजाना भर जाए, पत्रकार बेवजह घूमते हैं, इसलिए उनसे डबल टोल लिया जाना चाहिए। मीडिया के लोगो ने कहा है कि वर्तमान सरकारों की नीति मीडिया को समाप्त करने की है, ऐसे में सरकार से कोई अपेक्षा करना बेईमानी है। हालांकि सत्ता या सरकार किसी की भी हो सभी को मीडिया गोदी और उनका प्रचार करने वाला चाहिए। पत्रकार छोटी मोटी सुविधा भी मांगे तो सरकार का खजाना खाली हो जाता है।
मीडिया ने केंद्रीय मंत्री की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से निर्माण कंपनी की प्रशंसा की और कहा कि गुणवत्तापूर्ण कार्य किया जा रहा है, क्योंकि हम कंपनी से पैसे नहीं लेते हैं। जबकि वास्तविकता में कोई भी कंपनी हो सौ प्रतिशत गुणवत्ता के साथ काम नहीं कर सकती, लेकिन मंत्री द्वारा प्रशंसा करना संदेह उत्पन्न करता है। वहीं पत्रकारों की मामूली मांग को जिस प्रकार उन्होंने ठुकराया उसके लिए प्रेस क्लब ने उनकी कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा जाएगा। स्वयं को एक्सप्रेस वे निर्माण का पुरोधा मानने वाले मंत्री ने इतना भी लोक व्यवहार नहीं रखा कि पत्रकारों की मांग पर विचार करने और विश्लेषण करके निर्णय करने की बात करते। पत्रकारों की ओर से प्रेस क्लब मांग करता है कि मंत्री नितिन गडकरी के कार्यक्रम में ही मेहमान के रूप में पहुंचे पत्रकारों को उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपमानित किया है, जिसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने सीधा दो टूक कह दिया एनएच पर टोल माफ नहीं होगा, नहीं करूंगा।
केंद्रीय मंत्री के कार्यक्रम में कोटा, बूंदी और सवाई माधोपुर से पहुंचे पत्रकारों ने प्रेस क्लब के प्रयास और प्रस्ताव की प्रशंसा करते हुए केंद्रीय मंत्री के बयान की आलोचना की और बयान को गैर जिम्मेदाराना बताते हुए पत्रकारों के लिए अपमानजनक बताया। पत्रकारों ने कहा कि सामंती प्रवृत्ति के मंत्री जब कुछ समय बाद सत्ता में नहीं रहेंगे तो कोई पूछने वाला नहीं मिलेगा। अब तक ना जाने कितने मंत्री आ गए और चले गए, लेकिन पत्रकार और जनता अपनी जगह हैं। वहीं प्रेस क्लब कोटा और कोटा – बूंदी के पत्रकारों ने लोकसभा अध्यक्ष की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके निर्देशों और प्रयासों से हैंगिंग ब्रिज पर कोटा और बूंदी के वाहनों का टोल नहीं लगता है। लोकसभा अध्यक्ष ने अपने संसदीय क्षेत्र की जनता को बहुत बड़ा तोहफा दिया है। पत्रकारों ने लाखेरी की घटना से लोकसभा अध्यक्ष को भी अवगत कराने की बात कही।
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि आईएफडब्ल्यूजे सवाई माधोपुर जिला अध्यक्ष राजेश शर्मा के अनुरोध पर टोंक सवाई माधोपुर सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया, दौसा सांसद जसकोर मीना एवं राजसमंद सांसद दीया कुमारी ने भी केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री गडकरी को पत्र लिखकर प्रदेश के अधिस्वीकृत व गैर अधिस्वीकृत पत्रकारों को टोलमुक्त यात्रा की मांग की गई थी। उन को भी मंत्री ने इसी प्रकार मामले को टालने जैसे जवाब देकर संतुष्ट कर दिया था।