मानव जीवन वरदान है या अभिशाप। इस विषय पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय शांति कुंज हरिद्वार के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या रविवार 18 सितंबर को बीएम बिडला सभागार में व्याख्यान देंगे। अखिल गायत्री परिवार के तत्वावधान में यह कार्यक्रम शाम 3.30 बजे से शुरू होगा। इस कार्यक्रम में समाज के समस्त श्रेणी के सैंकडों प्रबुद्धजन व गणमान्य नागरिक शामिल होंगे। डॉ. चिन्मय पंड्या वर्तमान में अध्यात्म के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर नोबेल पुरस्कार के समकक्ष टेम्पल्टन पुरस्कार की ज्यूरी के मेंबर हैं। वे पहले भारतीय हैं जो इस पुरस्कार चयन समिति के सदस्य हैं।
डॉ. पंड्या युग ऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य की आध्यात्मिक धरोहर और उनके कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। इसलिए वे ब्रिटेन में डॉक्टर के रूप में चिकित्सा सेवा त्याग कर मातृभूमि की सेवा के लिए भारत लौटे। वे वर्ष 2010 से देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार में बतौर प्रति कुलपति सेवाएं दे रहे हैं। उनके पास राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई संस्थाओं में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी हैं।
डॉ. पंडया राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय स्तर पर गायत्री परिवार के 15 करोड़ से भी अधिक परिजनों एवं प्रबुद्धजनों और छात्र – छात्राओं को परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्री राम आचार्य की अमूल्य आध्यात्मिक धरोहर के बारे मे निरन्तर जानकारी देते हुए सम्पूर्ण विश्व को व्यवहारिक जीवन में श्रद्धा और समर्पण द्वारा आध्यात्मिक जीवन कैसे जिया जाए इस पर विशेष मार्गदर्शन दिये जाने हेतु प्रयासरत है। मानव जीवन ‘वरदान है या अभिशाप’ विषय की व्याख्या करते हुए डॉ. पंड्या बताते हैं कि मनुष्य के जीवन में देवता और असुरों का संग्राम चलता रहता है।
इस अंतर मंथन में जिसकी जैसी प्रबलता होती है, मनुष्य को वैसे ही परिणाम मिलते हैं। सुख-दुख, प्रेम, राग-द्वेष, आशा-निराशा और पाप-पुण्य के द्वंद युद्ध में जो पक्ष विजयी होता है, उसी के अनुरूप मनुष्य की जीवन के प्रति वरदान अथवा अभिशाप जैसी धारणा बन जाती है।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय के बारे में
57 वर्ष पहले, युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य (1911-1990), विद्वान-संत और अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक, ने एक अद्वितीय विश्वविद्यालय का सपना देखा जो व्यावहारिक ज्ञान (शिक्षा) और आध्यात्मिक शिक्षा (विद्या) के उपदेशों को जोड़ते हुए प्रबुद्ध छात्रों का निर्माण कर सकें। इसकी नींव 1999 में मातृ संस्था, शांतिकुंज के अंतर्गत रखी गई थी। 2002 के अप्रैल में, दृष्टि वास्तविकता बन गई जब विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, भारत द्वारा मान्यता दी गई।
अब यह विश्वविद्यालय वास्तव में जाति, पंथ, क्षेत्र और धर्म के बावजूद दैवीय संस्कृति के प्रसार का उत्प्रेरक बन गया है। देव संस्कृति विश्वविद्यालय का मिशन आध्यात्मिक प्रशिक्षण के साथ समकालीन शिक्षा के माध्यम से छात्रों को पूर्ण-विकसित, सक्षम और व्यक्तिगत रूप से उन्नत बनाना है। जिससे कि उन्हें शास्रीय- विद्या की समझ और आध्यात्मिक परिवर्तन का अनुभव प्राप्त हो और वे समाज के लिए अधिक से अधिक अच्छे कार्य को बढ़ावा दे सकें।
अखिल विश्व गायत्री परिवार के बारे में
गायत्री परिवार जीवन जीने कि कला एवं संस्कृति के आदर्श सिद्धांतों के आधार पर परिवार, समाज, राष्ट्र युग निर्माण करने वाले व्यक्तियों का संघ है। वसुधैवकुटुम्बकम् की मान्यता के आदर्श का अनुकरण करते हुए हमारी प्राचीन ऋषि परम्परा का विस्तार करने वाला समूह है गायत्री परिवार एक संत, सुधारक, लेखक, दार्शनिक, आध्यात्मिक मार्गदर्शक और दूरदर्शी युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा स्थापित यह मिशन युग के परिवर्तन के लिए एक जन आंदोलन के रूप में उभरा है।
“अब सवाई माधोपुर में भी होम्योपैथी चिकित्सा सेवा उपलब्ध”
राधास्वामी फिजियोथैरेपी सेंटर जयपुर के जाने माने होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. सुमित कासोटिया के द्वारा अपनी सेवाएं दी जा रही है। डॉ. सुमित मुख्य रूप से गुर्दे से संबंधित रोगों पर काम कर रहे हैं। उनके द्वारा गुर्दे की पथरी, पित्त की थैली में पथरी, ब्लड प्रेशर, अस्थमा, थायराइड, स्किन एलर्जी, बवासीर, त्वचा से संबंधित रोग, महिलाओं एवं पुरुषों से संबंधित रोग आदि बीमारियों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा रहा है।
डॉ. सुमित कासोटिया द्वारा हर महीने के पहले एवं तीसरे रविवार को प्रातः 9:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक परामर्श दिया जाता है।
परामर्श समय:
दिनांक: 18 सितंबर 2022
प्रातः 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक
स्थान: राधास्वामी फिजियोथेरेपी एन्ड एडवान्स्ड ऑर्थो न्यूरो रिहैबिलिटेशन सेंटर
लाला ट्रेडर्स के पास, मंडी रोड़, आलनपुर लिंक रोड़, सवाई माधोपुर
अधिक जानकारी के लिए एवं अपॉइंटमेंट के लिए नीचे दिए गए नंबर पर संपर्क करें।
डॉ. सुमित कासोटिया
+91 9602059872