विश्व शांति के लिए भगवान महावीर का अहिंसा संदेश वर्तमान परिपेक्ष्य में भी प्रासंगिक
अहिंसा के अवतार युगदृष्टा और जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का 2622वां जन्म कल्याणक महोत्सव सोमवार को उत्साह और उमंग एवं उल्लास के साथ मनाया गया l बामनवास ब्लॉक के सभी जैन मन्दिरों मे भगवान का मस्तकाभिषेक व अष्ट द्रव्यों से पूजा अर्चना की गई दिगम्बर जैन मन्दिर पिपलाई में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान महावीर का जन्मभिषेक और विशेष पूजा विधान किया गया l
भगवान महावीर ने क्षत्रिय राजकुमार होने के बाबजूद भी कभी विश्व विजय का सपना नहीं देखा जिस समय भगवान महावीर का अवतरण हुआ दुनिया में अहिंसा और अत्याचार का बोल बाला था l महावीर ने विषम परिस्थितियों में सच्चा मार्ग दुनिया को दिखलाया और प्राणी मात्र के सुख के लिए “जिओ और जीने दो” का अमूल्य मंत्र दिया l
भगवान महावीर के पांच सिद्दान्त सभी का जीवन बदलने वाले है अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह एवं ब्रह्मचार्य l इस अवसर पर राजस्थान समग्र जैन युवा परिषद् के अध्यक्ष जिनेन्द्र जैन ने बताया की विश्ववंदनीय भगवान महावीर के जीवन एवं दर्शन का गहराई से अध्ययन करने पर हम पाते है कि वे किसी एक जाती या सम्प्रदाय के न होकर सम्पूर्ण मानव समाज के अमूल्य धरोहर है l
वह सबके थे और सब उनके थे उन्हे केवल जैनो या जैन मन्दिरों तक सीमित करना उनके उद्दात एवं विराट व्यक्तित्व के प्रति अन्याय है वे जैन नहीं जिन थे l किसी का भी कल्याण जैन बनकर नहीं जिन बनकर ही हो सकता है l इस अवसर पर सुनील कुमार जैन, आशीष जैन, सुमनलता जैन, आशा जैन, रजनी जैन, सपना जैन, एकता जैन आदि कई श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे l