आमजन में रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लक्ष्य से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2021 के राज्य बजट में घर-घर औषधि योजना की घोषणा की थी। इसकी पालना में जिले के प्रत्येक परिवार को आगामी पांच साल में 24 औषधीय पौधे निःशुल्क उपलब्ध करवाएं जाएंगे। घर-घर औषधि योजना के तहत जुलाई माह से औषधि पौधे जिनमें तुलसी, कालमेध, अश्वगंधा और गिलोय के पौधे तैयार कर वितरण करने के लिए जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक जिला कलेक्टर राजेन्द्र किशन की अध्यक्षता में आज सोमवार को कलेक्ट्रेट सभागार में हुई। बैठक में जिला कलेक्टर ने बताया कि प्रत्येक परिवार को आगामी 5 साल में तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा तथा कालमेघ आदि के कुल 24 पौधे मिलेंगे। इन्हें 3 बार में अर्थात प्रत्येक बार 8-8 पौधे मिलेंगे। चालू तथा अगले वित्तीय वर्ष में जिले के 1.27-1.27 लाख परिवारों को ये पौधे मिलेंगे। 2023-24 में जिले के प्रत्येक परिवार को तथा 2024-25 और 2025-26 में 1.27-1.27 लाख परिवारों को ये पौधे मिलेंगे। इस वर्ष जिले में वितरण के लिए 9 नर्सरियों में 10 लाख 15 हजार पौधे तैयार किए जा रहे है। पौधों का वितरण जुलाई और अक्टूबर माह में दो चरणों में किया जाएगा। जिला स्तरीय टास्क फोर्स के अध्यक्ष तथा जिला कलेक्टर राजेन्द्र किशन ने बताया कि इस साल के वन महोत्सव की थीम भी घर-घर औषधीय पौधा वितरण योजना ही रहेगी। औषधीय पौधे अपने औषधीय गुणों के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, घर के सौंदर्य में बढ़ावा देंगे बच्चों को शुरू से ही पर्यावरण एवं स्वास्थ्य के बीच के रिश्ते की सीख भी देंगे। उन्होंने डीएफओ को निर्देश दिए है कि वितरण के समय इन पौधों के रखरखाव के टिप्स भी लोगों को दें तथा अच्छी गुणवत्ता के पौधों का वितरण सुनिश्चित करें। उन्होंने ग्राम वार वितरण के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश भी दिए। पौधों का वितरण जन आधार कार्ड के माध्मय से अभिलेख संधारण किए जाएंगे। बैठक में कलेक्टर ने निर्देश दिए कि शहरी क्षेत्र मे स्थानीय निकाय द्वारा वार्ड स्तर पर एवं ग्रामीण क्षेत्र मे पंचायतों और पीईईओ के माध्यम से ग्राम स्तर पर औषधि पौधों को वितरण किया जाए। उन्होंने जिला, ब्लॉक और ग्राम स्तर पर इस संबंध में आवश्यक प्रशिक्षण देने की कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। बैठक में कलेक्टर ने निर्देश दिए कि औषधि पौधे देने के पश्चात उनकी सार संभाल के लिए लोगों को जागरूक करे एवं उनके फायदे के बारे मे लोगों को अधिक से अधिक बताए कि यह अच्छा मौका है। उन्होंने राजकीय विभागों के कार्मिकों व अन्य जो प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से योजना से जुडे उन्हे पौधे वितरण कर लगवाने एवं सार संभाल के लिए जागरूक करने के निर्देश दिए। उन्होने बताया कि घर-घर औषधि योजना का वन विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है।
सामाजिक वानिकी के डीएफओ जयराम पांडे ने बताया कि औषधि पौधों को वन विभाग की नौ पौधशालाओं में तैयार कराया जा रहा है। इस योजना से राजस्थान मे पाई जाने वाली वन औषधि पौधों को संरक्षण भी होगा। जिला कलेक्टर ने शिक्षा, महिला एवं बाल विकास विभाग और चिकित्सा के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि चिकित्सालयों, विद्यालयों और आंगनबाड़ी केन्द्रों के साथ-साथ कार्यालयों में भी औैषधि पौधों को लगाने तथा उन्हे संरक्षण देने के लिए लोगों को जागरूक बनाए और तुलसी, कालमेध, अश्वगंधा व गिलोय से होने वाले स्वास्थ्य फायदे के बारे में भी जागरूक करें। बैठक में कलेक्टर ने ग्राम स्तर पर कार्यशाला करवाने, पौध वितरण केन्द्र के चिन्हित करने, जन प्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संस्थाओं, राजकीय कार्मिकों और आमजन को जोड़ते हुए इसे जन आंदोलन बनाने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने पौध वितरण, मूल्यांकन, प्रबोधन एवं वित्तीय सहयोग के लिए कमेटी बनाने के संबंध में भी निर्देश दिए। बैठक में जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामस्वरूप चौहान ने भी घर-घर औषधि योजना के संबंध में पंचायत राज संस्थाओं की भूमिका और सहयोग की जानकारी दी। इसी प्रकार वन महोत्सव के तहत जिले में 5 लाख 44 हजार पौधे लगाएं जाएंगे। इसके लिए भी आवश्यक तैयारियां करने के निर्देश दिए। बैठक मे सीएमएचओ डॉं. तेजराम मीना, महिला एवं बाल विकास विभाग के उपनिदेशक ऋचा चतुर्वेदी, उपनिदेशक कृषि, जिला शिक्षा अधिकारी राधेश्याम मीना, उप निदेशक आयुर्वेद, नगर परिषद आयुक्त रविन्द्र यादव, जिला युवा अधिकारी हर्षित खंडेलवाल, जिला खेल अधिकारी, सीईओ स्काउट चंद्रशंकर श्रीवास्तव, सीईओ गाइड दिव्या, प्राचार्य कन्या महाविद्यालय मनीषा शर्मा सहित संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहें।