हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर गत मंगलवार की शाम अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के पटल पर एक सार्थक संवाद का सवाईमाधोपुर से वर्चुअल आयोजन हुआ। इस सार्थक संवाद में प्रमुख औद्योगिक नगरी गाजियाबाद से संस्था के वैश्विक अध्यक्ष और पटल के संयोजक प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव, राजा भोज और झीलों की नगरी भोपाल मध्य प्रदेश से मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे, पौराणिक नगरी इंद्रप्रस्थ और वर्तमान में देश की राजधानी दिल्ली से प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान दिल्ली सरकार के निदेशक तथा हिंदी अकादमी दिल्ली सरकार के सचिव डाॅ.जीतराम भट्ट, गुरु द्रोणाचार्य की नगरी गुरुग्राम गुड़गांव से दैनिक हरियाणा प्रदीप के संपादक महेश बंसल तथा बाघों एवं त्रिनेत्र गणेश की नगरी सवाई माधोपुर से डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी शामिल रहे।
प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव ने हिंदी को भाषा के साथ- साथ एक संस्कार तथा संस्कृति का अभिन्न अंग बताया और कहा कि हिंदी भाषा वैश्विक स्तर पर हमें अन्य देशों के नागरिकों से जोड़ती है। डॉ. विकास दवे ने मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य अकादमी के निदेशक के रूप में अपने दायित्व निर्वहन के अनुभव बताए और कहा कि हमें अंग्रेजी मानसिकता से बाहर निकलना होगा। उनके द्वारा तैयार किए गए दिवंगत साहित्यकारों के गजट के बारे में भी डॉ. दवे ने बताया।
डॉ. जीतराम भट्ट ने अनेक अकादमियों और संस्थानों के सचिव और निदेशक के रूप में कार्य करने के उनके अनुभव साझा किए और साथ ही कुमाऊनी, गढ़वाली और जौनसारी अकादमी द्वारा हिंदी के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों और योजनाओं की जानकारी भी दी। महेश बंसल ने स्वाधीनता आंदोलन में हिंदी पत्रकारिता के योगदान पर प्रकाश डालते हुए स्वयं के लंबे पत्रकारिता अनुभव से सभी को अवगत कराया। महेश बंसल किस प्रकार एक दैनिक समाचार पत्र “दैनिक हरियाणा प्रदीप” का अनवरत संपादन और प्रकाशन कर रहे हैं और इस कार्य में क्या क्या कठिनाइयां आती हैं, उसकी भी उन्होंने चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन कर रहे डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी ने कहा कि हिंदी उनके रक्त में समाई हुई है।
वे सोचते भी हिंदी में हैं और स्वप्न भी हिंदी में ही देखते हैं। हिंदी में ही वे स्वयं को सहज, स्वाभाविक और सुगम अनुभव करते हैं। हिंदी भाषा की दशा एवं दिशा को केंद्र में रखकर अनेक बिंदुओं पर एक सार्थक परिचर्चा रही जिसमें हिंदी भाषा है या संस्कृति, हिंदी की वैश्विक स्थिति, हिंदी दिवस की सार्थकता, हिंदी पत्र – पत्रिकाओं एवं पत्रकारिता की स्थिति तथा हिंदी भाषा के उन्नयन हेतु किए जाने वाले प्रयास एवं योगदान, हिंदी भाषा की विशिष्ट विशेषताएं, स्वाधीनता आंदोलन में हिंदी की भूमिका आदि विषयों पर एक सार्थक संवाद हुआ। देश एवं विश्व के अन्य देशों के विविध क्षेत्रों से असंख्य श्रोताओं एवं दर्शकों ने इस संवाद को सुना एवं देखा।