जिले को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने वाले रणथम्भौर टाइगर प्रोजेक्ट योजना को बढ़ावा देने के लिए सरकार करोड़ों रुपए की राशि खर्च कर रही है। जिससे वन्य जीव प्रर्याप्त मात्रा में आसानी से वन्यजीव विचरण कर सकें। लेकिन कई स्थानों पर होकर अवैध मार्ग बने होने के कारण वन्यजीव प्रभावित हो रहे हैं। उन्हें अपना स्थान छोड़कर दूसरे स्थानों पर पलायन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसा ही मामला रणथंभौर टाइगर प्रोजेक्ट योजना की तालड़ा की वन चौकी मलारना स्टेशन क्षेत्र में सामने आ रहा है।
गौरतलब है कि थाना मलारना डूंगर के मलारना स्टेशन क्षेत्र में बजरी का अवैध कारोबार वर्षों से चल रहा है। इस पर अंकुश लगाने के लिए सवाई माधोपुर जिला कलेक्टर राजेंद्र किशन ने मलारना स्टेशन क्षेत्र में दो नाके लगाए गए हैं। जिससे सप्ताह भर खनन माफियाओं पर काफी मात्रा में अंकुश भी लगा। लेकिन मजे की बात यह है कि रणथंभौर टाइगर प्रोजेक्ट योजना के कर्मचारियों अधिकारियों की लापरवाही के चलते खनन माफियाओं ने बनास नदी से बिलोली एवं कोथाली गांव की वन सीमा में हो कर सीधा मलारना स्टेशन साकड़ा एवं मलारना स्टेशन हाडोती मुख्य सड़क पर लगभग 3 किलोमीटर की लंबाई में रणथंभौर टाइगर प्रोजेक्ट योजना की वन सीमाओं में होकर अवैध मार्ग बनाकर धड़ल्ले से बजरी का दोहन किया जा रहा है।
मलारना स्टेशन क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि खनन माफियाओं द्वारा सैकड़ों की संख्या में पेड़ पौधों को उखाड़ कर बजरी के दोहन के लिए नया मार्ग बनाया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि उप जिला कलेक्टर रघुनाथ खटीक द्वारा वन सीमा में स्थित अवैध बजरी स्टाॅक को शनिवार को जप्त कर रास्ते को अवरुद्ध करने के आदेश दिए थे। लेकिन रविवार को सांय तक भी मार्ग को अवरूद्ध नहीं किया गया। जिससे खनन माफियाओं द्वारा बजरी का दोहन वन सीमाओं में होकर निरंतर जारी है।
इस बारे में फॉरेस्टर राम खिलाड़ी मीणा ने बताया कि रणथंभौर टाइगर प्रोजेक्ट योजना की वन सीमा में होकर जितने भी अवैध मार्ग बने हुए हैं। सभी को बंद किया जाएगा।
इस बारे में मलारना डूंगर उप जिला कलेक्टर रघुनाथ खटीक ने बताया कि अगर अभी तक रास्ता अवरुद्ध नहीं किया गया तो वह कर्मचारियों की लापरवाही को दर्शाता है। हो सकता है, अगर जेसीबी की व्यवस्था नहीं हुई होगी तो सोमवार सुबह मार्गों को अवरुद्ध करवा दिए जाएंगे।