विधायक सवाई माधोपुर दानिश अबरार ने विधानसभा में निजी होटलों की अपेक्षा लगातार कमाई में पिछडती जा रही आरटीडीसी की होटल व पर्यटन व्यवसाय से जुडे जिप्सी केंटर चालक, नेचर गाइड व वाहनों के माॅडल कंडीशन का मुद्दा उठाया।
अबरार ने कहा कि सवाई माधोपुर में आरटीडीसी की दो होटल झूमर बावडी व विनायक होटल है। झूमर बावडी ऐतिहासिक धरोहर है। रणथंभौर में लोग बाहर से आकर होटल बना रहे है और करोडों रुपए कमाते है, लेकिन हमारी खुद की प्रोपर्टियां है। उनकी आय में दिनों दिन गिरावट आ रही है। उन्होंने कहा कि 2013-14 में झूमर बावडी से 13 लाख 74 हजार की आय 2016-17 में गिरकर 3 लाख 47 हजार रह गई। इसी प्रकार होटल विनायक 2013-14 में 34 लाख की आय से 2017-18 में मात्र 10 लाख ही रह गई।
उन्होंने कहा कि आरटीडीसी की पावर वन मंत्री को दी जाए, ताकि ऐसी होटल जो हमारे लिए धरोहर है व 3 से 4 लाख रुपए कमाकर घाटे की तरफ जा रही है। ऐसी होटलों के संचालन के लिए क्यों ना पीपीपी माॅडल लाया जाए। इन होटलों को 30 साल की लीज पर दे देना चाहिए। उन्होंने दावा किया आज घाटे में चल रही इन होटलों को लीज पर देने से इन्हीं होटलों से सरकारी खाते में करोड़ों रुपए आएगा। उन्होंने ऑनलाइन बुकिंग का आंकडा 100 प्रतिशत की बजाए 80 प्रतिशत किए जाने की मांग भी की।
अबरार ने कहा कि पूरे देश में केवल रणथम्भौर में त्रिनेत्र गणेश जी विराजमान है। यहां प्रत्येक बुधवार को लाखों श्रद्धालु आते है। जो जंगल के रास्ते से दुर्ग तक पैदल ही जाते है। यह चिंता का विषय है, क्योंकि रणथंभौर में टाईगर बहुत है। उन्होंने वन व पर्यटन दोनों मंत्रियों से आग्रह करते हुए कहा कि गणेश धाम से मंदिर तक यदि रोप-वे बनें तो हम विकास की ओर अग्रसर होंगे।
उन्होंने कहा कि फोरेस्ट का बजट 937 करोड का है। इस 937 करोड में से करीब 36 करोड की आय रणथंभौर से होती है। रणथंभौर एक राष्ट्रीय धरोहर है। इसकी वजह से सवाई माधोपुर में औद्योगिक इकाई की स्थापना नहीं की जा सकती। इसलिए रणथंभौर नेशनल पार्क से होने वाली आय की 20 प्रतिशत राशि रणथंभौर व सवाई माधोपुर के विकास के लिए आरक्षित की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि रणथंभौर नेशनल पार्क की चारदीवारी के आसपास बसें गांवों के विकास व कम्यूनिटी वेलफेयर के लिए कोई न कोई फाउंडेशन से राशि रिजर्व करनी चाहिए। वन विभाग ने पार्क में जिप्सी व केंटर संचालन के लिए माॅडल कंडीशन 5 वर्ष रखी है। 5 वर्ष से पुराने माॅडल की जिप्सियों को जंगल से बाहर कर दिया जाता है। लेकिन इसी जंगल में सरकारी गाड़ियों के लिए कोई माॅडल कंडीशन निर्धारित नहीं है। सरकारी जिप्सियों के लिए कोई कानून ही नहीं है। कितनी भी पुरानी हो सब चलाओ। अबरार ने कहा कि कानून सबके लिए बराबर है, चाहे वह सरकारी गाडी हो या निजी। जिन लोगों ने परिवहन विभाग में 15 वर्ष तक के लिए गाड़ियों का टेक्स जमा करवा रखा है। उन गाडियों से 5 वर्ष की माॅडल कंडीशन की अनिवार्यता हटाई जानी चाहिए।
रणथंभौर एक ऐसा पार्क है पूरे देश में जो दुगना राजस्व देता है। रणथंभौर में गाइड की फीस वही है जो दस साल पहले थी। उन्होंने वनमंत्री के सामने नेचर गाइड की फीस पर विचार करने की बात कही।
अबरार ने कहा कि रणथंभौर नेशनल पार्क एक राष्ट्रीय धरोहर है। लेकिन इस धरोहर की पहचान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर का दरवाजा तक नहीं है। उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रीय धरोहर के लिए कम से कम एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का दरवाजा बनवाया जाए, ताकि रणथंभौर पार्क में भ्रमण के लिए आने वाले देशी विदेशी सैलानियों को पार्क में प्रवेश करने से पूर्व अंतरराष्ट्रीय धरोहर का अहसास हो सके। अबरार ने वन मंत्री से इसके लिए फंड स्वीकृत करने की मांग रखी।
इसके साथ ही अबरार ने कहा कि मोर मार बघेरा “करेकल” पूरे हिंदूस्तान में सिर्फ राजस्थान व गुजरात में बचे है। इनकी संख्या करीब 50 के आसपास होगी। इन 50 में भी 90 प्रतिशत संख्या रणथंभौर मे बची है। इस विलुप्त होती प्रजाति को बचाने के लिए स्पेशल फंड की स्थापना की जानी चाहिए।