वर्तमान में मनुष्य जटिलताओं से भर गया है। वह राग, द्वेष और मोह-माया का जाल बुनकर मृग- मरीचिका में भटकता ही रहता है। मायावी व्यक्ति स्थाई रूप से सफल नहीं हो सकता है, उसे अपयश की चिंगारी तपन से झुलसाती है। मन की पावनता, वचनों की सत्यता और काया की संयमता जीवन में सरलता लाती है। मायाचारी का त्याग करके सरल परिणामों द्वारा अपनी आत्मा की उन्नति करनी चाहिए, तब ही मनुष्य का कल्याण हो सकता है।
सकल दिगंबर जैन समाज के प्रवक्ता प्रवीण कुमार जैन ने बताया कि यह विचार अहिंसा सर्किल आलनपुर स्थित दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र चमत्कारजी में ससंघ चातुर्मासरत आर्यिका अंतसमति माताजी ने धर्म चर्चा के दौरान व्यक्त किए। इसी प्रकार आर्यिका विजितमति माताजी ने सारगर्भित शब्दों में कहा कि सरलता की शक्ति अद्भुत है। व्यक्ति जीवन की प्रत्येक क्रिया में धर्म का ध्यान रख अपने जीवन को सरलता और सहजता के ढांचे में ढालना शुरू कर दें तो वह सच्चे धर्म को प्राप्त कर सकता है।