Wednesday , 2 October 2024

निरंकारी मिशन की ओर से मुक्ति पर्व के अवसर पर रक्तदान शिविर का हुआ आयोजन

निरंकारी मिशन ने स्वतंत्रता दिवस को मनाया मुक्ति पर्व के रूप में

 

सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन आशीर्वाद द्वारा ब्रांच सवाई माधोपुर संत निरंकारी सत्संग भवन में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें सन्त निरंकारी मिशन के श्रद्धालु भक्त एवं सेवादारों द्वारा निःस्वार्थ भाव से रक्तदान किया गया। सवाई माधोपुर ब्लड बैंक के सुयोग्य चिकित्सक डॉ. बनवारी लाल मीणा (चिकित्सा अधिकारी) उनकी सहयोगी की देखरेख में संपन्न हुआ।इस शिविर का उद्घाटन संत निरंकारी मिशन के रोशन मीनार वासुदेव सिंह के द्वारा किया गया। मीडिया सहायक प्रज्जवल प्रजापति ने बताया की उन्होंने रक्तदान शिविर में सम्मिलित होने वाले रक्तदाताओं को प्रोत्साहित किया एवं जनकल्याण के लिए की गई उनकी सच्ची सेवा की प्रशंसा भी की। संत निरंकारी मिशन द्वारा प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस को मुक्ति पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।

 

इस दिन जहां पराधीनता से मुक्त कराने वाले भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को नमन किया जाता है वहीं दूसरी ओर आध्यात्मिक जागरूकता के माध्यम से प्रत्येक जीव आत्मा को सत्य ज्ञान की दिव्य ज्योति से अवगत करवाने वाली दिव्य विभूतियों शहनशाह बाबा अवतार सिंह, जगत माता बुद्धयंती, निरकारी राजमाता कुलवंत कौर सत्गुरु माता सविंदर हरदेव एवं अन्य भक्तों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके जीवन से सभी भक्तों द्वारा प्रेरणा प्राप्त की जाती है।

 

Nirankari Mission celebrated Independence Day as Mukti Parv in sawai madhopur

 

वहीं सतगुरु माता जी ने मुक्ति पर्व के अवसर पर अपने प्रवचनों में कहा ब्रह्मज्ञान को जीवन का आधार बनाकर निरंकार से जुड़े रहना और मन में उसका प्रतिपल स्मरण करते हुए, सेवा भाव को अपनाकर जीना ही वास्तविक मक्ति है। पुरातन संतों एवं भक्तों का जीवन भी ब्रह्मज्ञान से जुड़कर ही सार्थक हो पाया है।” यह उक्त उद्गार निरंकारी सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने मुक्ति पर्व समागम के अवसर पर लाखों की संख्या में एकत्रित विशाल जनसमूह को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। यह अवस्था निरंकार को मन में बसाकर उसके रंग में रंगकर ही संभव है क्योंकि ब्रह्मज्ञान की दृष्टि से जीवन की दशा एवं दिशा एक समान हो जाती है।

 

जीवन में आत्मिक स्वतंत्रता के महत्व को सत्गुरु माता जी ने उदाहरण सहित बताया कि जिस प्रकार शरीर में जकड़न होने पर उससे मुक्त होने की इच्छा होती है उसी प्रकार हमारी आत्मा तो जन्म जन्म से शरीर में बंधन रूप में है और इस आत्मा की मुक्ति केवल निरंकार की जानकारी से ही समय है जब हमें अपने निज घर की जानकारी हो जाती है तभी हमारी आत्मा मुक्त अवस्था को प्राप्त कर लेती है। इस संत समागम में सत्गुरु माता सविंदर हरदेव के विचारों का संग्रह “युग निर्माता’ पुस्तक का विमोचन निरंकारी सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज के कर कमलों द्वारा हुआ।

 

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